शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

दिल में इंतजार

दिल में इंतजार की लकीर छोङ जायेगे .........*

*आँखों में यादो की नमी छोड़  जायेगे.........

*ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ........

*जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोङ जायेगे.........!!!

तेरे दिल में मुझे उम्रकैद मिले...........

*थक जायें सारे वकील.........

*फिर भी जमानत ना मिले..........!!!

मुरझा गए फूल खिलकर हसरतों के........

*नाकाम हुए सपने हमारी मुहब्बतों के.........

*दुनियां ने छिन लिया मुझसे यार मेरा........

*मुझे याद आ रहे हैं दिन कुरबतों के.............!!!

निभाया वादा हमने शिकवा न किया........

*दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया.........

*जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए..........

*सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया............!!!

टूटेगा तेरा ये भरम धीरे-धीरे........

*निकलेगा इश्क़ में तेरा भी दम धीरे-धीरे.........

*आसान नही है इश्क़ के समंदर से निकल जाना.........

*डूबेगा इसमे तू भी सनम धीरे-धीरे.............!!!

कई ख्वाब मुस्कुराये सरे-शाम बेखुदी में........*

*मेरे लब पे आ गया था तेरा नाम बेखुदी में...........!!!

ऐ-जिंदगी तू खेलती बहुत है खुशियों से....!

*हम भी इरादे के पक्के हैं मुस्कुराना नहीं छोडेंगे ....!!

गुरुर किस बात का करें साहब ...!!*

*आज मिट्टी के ऊपर तो कल मिट्टी के नीचे ...

निखरती है मुसीबतों से
ही शख्सियत यारों !!
.
*जो चट्टान से ही ना उलझे
वो झरना किस काम का

स्मार्ट हो आप तो बुरे हम भी नही,
इंटेलिजेंट हो आप तो बुद्धू हम भी नहीं,
दोस्ती कर के कहते हो बिजी है हम,
याद करना हमसे सीखो फ्री तो हम भी नहीं..

मनुज आओ आगोश मे की इश्क-ए-अंजाम हो जाये..........

थोड़ा बुझे....थोड़ा जले....और दिसम्बर की शाम हो जाये.........

न्यू ईयर से पहले ...

जरा सा मुस्कुरा देना न्यू ईयर से पहले ….
हर गम को भुला देना न्यू ईयर से पहले ….
ना सोचो किस किस ने दिल दुखाया ,
सब को माफ कर देना न्यू ईयर से पहले …
क्या पता फिर मौका मिले ना मिले इसलिए,
दिल को साफ कर देना न्यू ईयर से पहले ...

मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

दर्द कागज़ पर

*दर्द कागज़ पर,
          *मेरा बिकता रहा,
*मैं बैचैन था,
          *रातभर लिखता रहा..
*छू रहे थे सब,
          *बुलंदियाँ आसमान की,
*मैं सितारों के बीच,
          *चाँद की तरह छिपता रहा..
*दरख़्त होता तो,
          *कब का टूट गया होता,
*मैं था नाज़ुक डाली,
          *जो सबके आगे झुकता रहा..
*बदले यहाँ लोगों ने,
         *रंग अपने-अपने ढंग से,
*रंग मेरा भी निखरा पर,
         *मैं मेहँदी की तरह पिसता रहा..
*जिनको जल्दी थी,
         *वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,
*मैं समन्दर से राज,
         *गहराई के सीखता रहा...........!!!

उम्र का पानी...

*खतरे के*
*निशान से ऊपर बह रहा है*
*उम्र का पानी...*

*वक़्त की बरसात है कि*
*थमने का नाम नहीं*
*ले रही...*

*आज दिल कर रहा था,*
*बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,*
*पर...*

*फिर सोचा,*
*उम्र का तकाज़ा है,*
*मनायेगा कौन...*

*रखा करो नजदीकियां,*
*ज़िन्दगी का कुछ भरोसा*
*नहीं...*

*फिर मत कहना*
*चले भी गए*
*और बताया भी नहीं...*

*चाहे जिधर से गुज़रिये,*
*मीठी सी हलचल*
*मचा दीजिये...*

*उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है,*
*अपनी उम्र का*
*मज़ा लिजिये....*

अनुभव

*लगन* व्यक्ति से वो करवा लेती है,
जो वह नहीं कर सकता।

*साहस* व्यक्ति से वो करवाता है,
जो वह कर सकता है।

किन्तु *अनुभव* व्यक्ति से वही करवाता है,
जो वास्तव में उसे करना चाहिये...!!!
______________________
           

रविवार, 24 दिसंबर 2017

Biometric

जी जान लगा दी हमने,
“नाम” को “दस्तख़त” बनाने में।

ये “कमबख़्त” ज़माना लौटकर
“अंगूठे” पर आ गया।।

*Biometric

दोस्ती रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब.........*

*ताल्लुक कम करने से दोस्ती कम नहीं होती............!!!

रिश्ते बरकरार रखना चाहते हो ना....साहिब !*
*तो
*भावनाओं को देखो.........

*सम्भावनाओं को नही ..........!! !

बड़ी मतलबी है दुनिया........*

*सौदा संभल के कीजिये..........

*मतलबी लिफाफों में बेशुमार दिल मिलते हैं यहाँ...........!!!

कफ़न न मेरा हटाओ ज़माना देख न ले..........*

*मैं सो गया हूँ तुम्हारी निशानियाँ ले कर.............!!!

हिचकियों को न भेजो अपना मुखबिर बना कर.........*

*हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के अलावा............!!!

तज़ुर्बा

आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े,*
*मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़।*
[

फ़ासला भी ज़रूरी था.. चिराग़ रौशन करते वक़्त*
*ये तज़ुर्बा हासिल हुआ.. हाथ जल जाने के बाद।

ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम*....

*रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

कोरा कागज़

कोरा कागज़ था और कुछ बिखरे हुए लफ़्ज़*

ज़िक्र तेरा आया तो सारा कागज़ गुलाबी हो गया*

वजह की तलाश में,*
वक्त ना गवाया करो..*

वेवजह, बेपरवाह, बेझिझक..!*
बस मुस्कुरा के बोल दिया करो...*

हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे...
बहारें हमको ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे

इसी अंदाज़ से झूमेगा मौसम, गाएगी दुनिया
मोहब्बत फ़िर हसीं होगी, नज़ारे फ़िर जवाँ होंगे

न तुम होगे न हम होंगे, न दिल होगा मगर फ़िर भी
हज़ारों मंजिलें होंगी हज़ारों कारवां होंगे।

उड़ ना जाएँ कहीं खुशबुएँ तेरी....

ये सोच कर उस चादर की मैंने....   कभी तहें नहीं खोली.....

कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना

अरे दोस्त…. इश्क का रोग था…

मम्मी के चप्पल से ही आराम आया….

ना जाने कौनसी, दौलत हैं.........*

*कुछ  लोगों के ,लफ़्जों में.........

*बात करते है तो.......

*दिल ही खरीद लेते हैं .......!!!

यूँ असर डाला है-*
*मतलबी लोगों ने दुनिया पर ...

*प्रणाम भी करो तो-
*लोग समझते हैं कि
*जरूर कोई काम होगा!

बुरे वक्त सा हो गया हूँ मैं...
हर कोई भुलाने में लगा है...

शनिवार, 9 दिसंबर 2017

ठोकरें

दुख इस बात का नहीं की*
*दुश्मनों ने तीर चलाया है..
दुःख इस बात का है ,के
*निशाना दोस्तों ने बताया है..!

हमने बांटी हैं जहां में इस क़दर खुशियाँ
बाद मेरे जो मुझे सोचेगा, रो देगा
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी मे.........*

*पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है............!!!
अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह है.........

*अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं.............!!!
बांध कर मेरे हाथ पर ताबीज नज़र का..........
वो खुद मुझ पर नज़रें लगाये बैठे है............!!!

वो कहते हैं...भुला देना‬ पुरानी बातों को.......
कोई समझाए उन्हें के...ईश्क‬ कभी ‪‎पुराना नहीं‬ होता......

हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं

बुधवार, 6 दिसंबर 2017

समंदर को सुखाना

समंदर को सुखाना चाहता है,
मुझे इतना रुलाना चाहता है.

ये सहरा किस क़दर प्यासा हुआ है,
मुझे कतरा बनाना चाहता है.

मेरी तकदीर का कायल है फिर भी ,
मुझे  वो आज़माना चाहता है.

बहुत नज़दीक मेरे आ रहा है,
वो शायद दूर जाना चाहता है.

भटकने के अज़ब इक शौक में वो,
मुझे जंगल बनाना चाहता है.

नहीं मुझमे बसेगा वो कभी भी,
फकत कुछ दिन बिताना चाहता है.

जुदा तो हो गया है कब का मुझसे,
बिछुड़ने का बहाना चाहता है.

गुरूर

मुट्ठी में लिये कब्र की खाक
मैं ये सोचता हूँ फ़राज..!

इंसान जब मर जाते हैं, तो गुरूर कहाँ जाता है..!!

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज...हाल हमारा पूँछ कर.....

हाल हमारा वही है...जो तुमने बना रखा है.....

इक पथ्तर भी बेवफा हो तो...

वो पूरी दीवार गिरा देता है...

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

फ़क़ीर

जिसे पूजा था हमने वो खुदा ना हो सका,,

हम ही इबादत करते करते फ़क़ीर हो गए....!!!!

अपने जख्मों के लिए तलाशते रहे हसीं चारागर
मिला अब तक किसी के पास इस दर्द का इलाज नहीं

सांस और धड़कनों में रही अब तेरी भी याद नहीं
नसों में दौड़ती जिंदगी किसी की मोहताज नह

मनुज चुप थे तो चल रही थी*

ज़िँदगी लाज़वाब...

*अब ख़ामोशियाँ बोलने लगीं...
*तो बवाल हो गया..!!

मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है...

*मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है...

क्या खूब कहा है, किसी ने-
_*थक कर बैठा हूँ...
_*हार कर नहीं..!!

_*सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है... ज़िन्दगी नहीं.!!!!
     
        

रंज़िशें

मुद्दत बाद जब उसने मेरी खामोश आँखें देखी तो..!!
.
*ये कहकर फिर रुला गया कि लगता है अब सम्भल गए हो..!!

हम जिसे छिपाते फिरते हैं उम्रभर,वही बात बोल देती है*

*शायरी भी क्या गजब होती है,हर राज खोल देती है..

जान लेने पे तुले हे दोनो मेरी..
इश्क हार नही मानता..
दिल बात नही मानता

हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!!*

*कुछ दर्द चले जाते है दोस्तो के साथ मुस्कुराने में...!!*

सलीका इतना अदब का ,
*तो बरकरार रहे,

*रंज़िशें अपनी जगह हों,
*सलाम अपनी जगह  !
                                  

खामोशी

दिल की बातें दिल में ही छुपाये रखता हूँ ,
खामोशी को ही अपने अल्फाज़ बनाए रखता हूँ ॥
बेरंग सी लगने लगी है अब ये दुनिया ,
मै श्यामल-श्वेत को ही अपना आसमान बनाए रखता हूँ ॥
सुना है आनंदमय होती हैं बारिश की बूंदे, पर
मै पतझड़ को ही अपनी बरसात बनाए रखता हूँ ।
बडी़ दूर आ गया हूँ विराने रेत के सफर में,
साया खुद का भी दिख जाये तो ज्यदा देर टिकता नहीं,
कहीं कोई और ना आ जाये पिछे मेरे इन निशानों के सहारे ,
ये सोच के अपने हर निशान मिटाये रखता हूँ ॥

गुरुवार, 30 नवंबर 2017

थोडा थक गया हूँ , , ,

थोडा थक गया हूँ , , ,
दूर निकलना छोड दिया है।
*. . . पर ऐसा नहीं है की , , ,*
*मैंने चलना छोड दिया है ।।*

     फासले अक्सर रिश्तों में , , ,
    . . . दूरी बढ़ा देते हैं।
     *. . . पर ऐसा नही है की , , ,*
*मैंने अपनों से मिलना छोड दिया है ।।*

हाँ . . . ज़रा अकेला हूँ , , , दुनिया की भीड में।
*. . . पर ऐसा नही की , , ,*
*मैंने अपनापन छोड दिया है ।।*

    याद करता हूँ अपनों को, ,
  . . . परवाह भी है मन में।
    *बस , कितना करता हूँ , , ,*
*ये बताना छोड दिया।।*

गुरुवार, 23 नवंबर 2017

हाथ

न हाथ थाम सके ,न पकड़ सके दामन ...

बहुत ही करीब से गुजर कर बिछड़ गया कोई !!

उन का अंदाजे-ए-करम,,, उन पर वो आना दिल का....!

हाय...!!... वो वक़्त.., वो बातें..., वो जमाना दिल का...!!

मेरे लफ़्ज़ों का असर उस पर क्यों नही होता
वो एक कमी मेरी तेहरीर में क्या है ...

वो जो हाथ तक से छुने को बे-अदबी समझता था,
गले से लगकर बहोत रोया बिछड ने से जरा पहले...!!

शमशान की राख

शमशान की राख देख कर मन में
एक ख्याल आया

सिर्फ राख होने के लिए इंसान जिंदगी भर
दूसरों से कितना जलता है

मैंने भी अपनी ज़िन्दगी का बहुत दूर तक पीछा किया,
ये अलग बात हैं कि वो खुद किसी की तलाश में थी।

होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बना कर रखते सीने में, 
तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊँ तो तू नही

ईश्क की लौ है दिल पे लगाते  हैं
वो फिर से बुझाते हैं हम फिर से जलाते हैं...

"मरीज-ए-मोहब्बत हूं,
इक तेरा दीदार काफी है,"

"हर एक दवा से बेहतर,
निगाहे-ए-यार काफी है"

सुनहरा दिन यूँ  इतरा के
               संवर के यार सा निकला
महकती सर्द फिजाओं संग
                मेरे दिलदार सा निकला...!!

मंगलवार, 21 नवंबर 2017

आदत

मेरी मोहब्बत की ना सही, मेरे सलीके की तो दाद दे.

तेरा जिक्र रोज करते हैं, तेरा नाम लिए बगैर.!

*तुम्हारी खुशबु कंही नही मिलती

*फूल सारे खरीद के देखे है मेने

मजबूरियां तुम्हारी थी,*
*और
*तनहा हम हाे गऐ...!!!

मेरा क़ातिल भी परेशां है मेरे दोस्तों की दुआओं से.......!

*के जब भी वार करता है, ख़ंजर टूट जाता है ...
!!!

दिल मे ना जाने कैसे तेरे लिए इतनी जगह बन गई,*
*तेरे मन की हर छोटी सी चाह मेरे जीने की वजह बन गई
दर्द ऐसे पीछे पड़ा है ...*

*जैसे मैं उसकी पहली मोहब्बत हूँ...

आज तक बहुत भरोसे टूटे,

*मगर भरोसे की आदत नहीं छूटी!

शनिवार, 18 नवंबर 2017

बेपनाह मोहब्बत

पहले इश्क़ को आग होने दीजिए
फिर  दिल को राख होने दीजिए

तब जाकर पकेगी बेपनाह मोहब्बत
जो भी हो रहा बेहिसाब होने दीजिए

सजाएं मुकर्रर करना इत्मिनान से
मगर पहले कोई गुनाह होने दीजिए

मैं भूला नहीं बस थोड़ा थक गया था
लौट आऊंगा घर शाम होने दीजिए

चाँद के दीदार की चाहत दिल में जगी है
आयेगा नज़र वो, रात होने दीजिए

जो नदियां सूख गयी हैं इंतज़ार में
वो भी भरेंगी बस बरसात होने दीजिए

नासमझ, पागल, आवारा, लापरवाह हैं जो
संभल जाएंगे वो भी एहसास होने दीजिए

कशमकश

सुना भी कुछ नही,..कहा भी कुछ नही,.....

पर ऐसे बिखरे है ज़िंदगी की कशमकश मे......

कि टूटा भी कुछ नही....और बचा भी कुछ नही......

ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...*
*तू गुमां न कर...

*बुलंदियाँ छू हजार, मगर...*
*उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर...

जिद कर ही बैठे हो जाने की, तो ये भी सुन ले*

*खैरियत मेरी.... कभी गैरों से मत पूछे...

ना  तंग  करो  हमे, हम  सताये  हुए  है,
मोहब्बत  का  गम  दिल  पे  उठाये  हुए  है;

खिलौना  समझकर  यूँ  ना  खेलो  हमसे,
हम  भी  उसी  खुदा  के  बनाये  हुए  है_!!

हादसे कुछ जिन्दगी*
  *में एेसे हो गये;

   *हम समंदर से भी*
      *ज्यादा गहरे हो गये..!

ऐ उम्र...
अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
बचपन तो छीन लिया
बचपना छीन कर बता

दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता,
हर रास्ते का मुक़ाम नहीं होता,
अगर निभाने की चाहत हो दोनों तरफ,
तो क़सम से कोई रिश्ता नाक़ाम नहीं होता !!

खैरियत

सुना भी कुछ नही,..कहा भी कुछ नही,.....

पर ऐसे बिखरे है ज़िंदगी की कशमकश मे......

कि टूटा भी कुछ नही....और बचा भी कुछ नही......

ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...
*तू गुमां न कर...

*बुलंदियाँ छू हजार, मगर...
*उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर...

जिद कर ही बैठे हो जाने की, तो ये भी सुन ले*

*खैरियत मेरी.... कभी गैरों से मत पूछे...

ना  तंग  करो  हमे, हम  सताये  हुए  है,
मोहब्बत  का  गम  दिल  पे  उठाये  हुए  है;

खिलौना  समझकर  यूँ  ना  खेलो  हमसे,
हम  भी  उसी  खुदा  के  बनाये  हुए  है_!!

हादसे कुछ जिन्दगी
  *में एेसे हो गये;

   *हम समंदर से भी
      *ज्यादा गहरे हो गये..!

ऐ उम्र...
अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
बचपन तो छीन लिया
बचपना छीन कर बता

दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता,
हर रास्ते का मुक़ाम नहीं होता,
अगर निभाने की चाहत हो दोनों तरफ,
तो क़सम से कोई रिश्ता नाक़ाम नहीं होता !!

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

महफील

ना पैसा लगता हैं*
ना ख़र्चा लगता हैं
"  *याद तो करे "
*बड़ा अच्छा लगता हैं

महफील भले ही प्यार  करने वालो की हो,*

*उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है।

जिन्दगी को कभी तो खुला छोड़ दो जीने के लिए .....
               
*बहुत सम्भाल के रखी चीज़ वक्त पर नहीं मिलती ......

नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की

तेरी यादें, तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती है

बुधवार, 8 नवंबर 2017

रूठे रिश्ते

पानी से भरी आंख लेकर मुझे घूरता ही रहा,,
आईने में खडा़ वो शख्स,उदास बहुत था..!!

कुछ रिश्ते उम्र भर अगर बेनाम रहे तो अच्छा है,
आँखों आँखों में ही कुछ पैगाम रहे तो अच्छा है

मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जान

वो कहता है कि बता तेरा दर्द कैसे समझूँ..?​

​मैंने कहा.... इश्क़ कर और कर के हार जा...!!​      ​

रूठे रिश्ते,
और
नाराज लोग,
सबूत है इस बात का,
जज्बात अब भी जुड़े रहने की ख्वाहिश रखते है..!!

चंद अल्फाज़ में बयां कर देती है हाले-दिल,
ये शायरी भी चीज बड़े काम की है।

मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता, कुछ रिश्तों का कोई तोल नहीं होता, लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर.. हर कोई आप सब की तरह अनमोल नहीं होता!

"जब मिली होगी उसे मेरी हालत की खबर,
उसने आहिस्ता से दिवार को जरूर थामा होगा !!"

मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

Legends of Urdu poetry

एक ही विषय पर 6 शायरों का अलग नजरिया.... जरूर पढें :- आप उर्दू शायरी की महानता की दाद देने पर मज़बूर हो जाएंगे.....

1- *Mirza Ghalib*: 1797-1869

"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"

....... इसका जवाब लगभग 100 साल बाद मोहम्मद इकबाल ने दिया......

2- *Iqbal*: 1877-1938

"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"

....... इसका जवाब फिर लगभग 70 साल बाद अहमद फराज़ ने दिया......

3- *Ahmad Faraz*: 1931-2008

"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर,
खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"

....... इसका जवाब सालों बाद वसी ने दिया......

4- *Wasi*:1976-present

"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"

वसी साहब की शायरी का जवाब साकी ने दिया

5- *Saqi*: 1936-present

"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।".....

Legends of Urdu poetry

हर जनम में....

हर जनम में....

हर जनम में उसी की चाहत थे;
हम किसी और की अमानत थे;

उसकी आँखों में झिलमिलाती हुई;
हम ग़ज़ल की कोई अलामत थे;

तेरी चादर में तन समेट लिया;
हम कहाँ के दराज़क़ामत थे;

जैसे जंगल में आग लग जाये;
हम कभी इतने ख़ूबसूरत थे;

पास रहकर भी दूर-दूर रहे;
हम नये दौर की मोहब्बत थे;

इस ख़ुशी में मुझे ख़याल आया;
ग़म के दिन कितने ख़ूबसूरत थे

दिन में इन जुगनुओं से क्या लेना;
ये दिये रात की ज़रूरत थे।
सुप्रभातम सा! 

शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

करीब

हमें कोई ना पहचान पाया करीब से,

कुछ अंधे थे...कुछ अंधेरों में थे।

_नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो,

मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो।।

करूँ क्यों फ़िक्र की
*मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी

*जहाँ होगी महफिल मेरे यारो की
*मेरी रूह वहाँ मिलेगी

मैं निकला सुख की तलाश में रस्ते में खड़े दुखो ने कहा,

*हमें साथ लिए बिना सुखों का पता नहीं मिलता जनाब.....

उठाकर देखी जब,*
*तस्वीरें बीते सालों की...

*ठहरा हुआ मिला,*
*एक वक़्त मुस्कुराता-सा.....

बुरे में अच्छा ढूँढो तो कोई बात बने,

*अच्छे में बुराई ढूँढना तो दुनिया का रिवाज है।

मेरी आँखों से..... जो गिरता है..... वो दरिया देखो........!

_*मैं हर..... हाल में ख़ुश हूँ..... मेरा नज़रिया देखो........!!

बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

जिन्दगी

.
             *वाह री जिन्दगी*
               """"""""""""""""""""
*जीवन की आधी उम्र तक पैसा कमाया,*
*पैसा कमाने मे इस शरीर को खराब किया।*
*बाकी आधी उम्र तक उसी पैसे को,*
*शरीर ठीक करने मे लगाया।*
*न शरीर बचा, न पैसा ।*

            *वाह री जिन्दगी*
          *"""""""""""""""""""""*
*श्मशान के बाहर लिखा था!*
*मंजिल तो तेरी यही थी!*
*बस ज़िन्दगी गुजर गई आते आते*
*क्या मिला तुझे इस दुनिया से*
*अपनों ने ही जला दिया तुंझे जाते जाते*...

    *_़़़़़वाह री जिंदगी़़़़़़_*
            *""""""""""""""""""*
*दौलत की भूख एेसी लगी कि कमाने निकल गए!*
*जब दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए!*
*बच्चों के साथ रहने की फुरसत ना मिल सकी!*
*फुरसत मिली तो बच्चे कमाने निकल गए!*

     *_़़़़़वाह री जिंदगी़़़़़़_*
             *""""""""""""""""""*

दिलकश

बड़ा ही खामोश सा अंदाज़ है तुम्हारा
समझ नही आता फ़िदा हो जाऊ या फना हो जाऊ

हमें हो गया है शौक पराए गम अपनाने का........
जहाँ फिक्र तेरी होगी.....वहाँ जिक्र मेरा होगा...........

हवाओं ने शहर भर में धुँए का करोबार कर रखा है……
किसी का दिल जले या घर क्या फ़र्क़ पङता है……

मे तो दिया हूँ मेरी दुश्मनी अँधेरों से है……
हवा तो बेवजह ही मेरे ख़िलाफ़ है……

एक टुकड़ा इश्क ..
कुछ बुँदे चाहत की …
और मासूम सी भीगी तेरी मुस्कान..!

दिन यु गुजर जाते ...
तो जिंदगी जन्नत होती जनाब …!!

कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नज़र मे रहो ।।।

ये सब तुम्हारे ही घर है, किसी घर मे रहो! !!!!!

एहसास ए मुहब्बत के लिए बस इतना ही काफी है,

तेरे बगैर भी हम, तेरे ही रहते हैं..!!

उम्मीद के दिलकश पनघट पे हम शमा जलाये बैठे हैं,,

वो वादा कर के भूल गए और हम आस लगाए बैठे हैं,,

आँसु कागज पर

रोज़ उनकी याद...सीने में दर्द की लहर बन उठती है ऐसे......

ठहरे हुए पाने में...किसी ने पत्थर उछाला हो जैसे........

जज़्बातों में बहकर, खुद को
किसी के अधीन मत कीजिए।

खुदा और खुद के अलावा,
किसी पर यक़ीन मत कीजिए ।।

चलो...दिल की अदला बदली कर लें..!!

तड़प क्या होती है...खुद समझ जाओगे...!!

लिखना तो ये था की खुश हूँ उनके बगैर भी...

पर कलम से पहले आँसु कागज पर गिर गया !!!

मालूम सबको है कि जिंदगी बेहाल है.

लोग फिर भी पूछते हैं... "और सुनाओ क्या हाल है.. !!??

बाज़ी

*दिल के सच्चे लोग,*
*कुछ एहसास लिखते है,,,*

*मामूली शब्दों में ही सही,*
*पर कुछ खास लिखते है,,,,*

*लम्हे फुर्सत के आएं तो*
*रंजिशें भुला देना दोस्तों*

*किसी को नहीं खबर कि*
*सांसों  की मोहलत कहां तक है*

*दिल के सच्चे लोग,*
*कुछ एहसास लिखते है,,,*

*मामूली शब्दों में ही सही,*
*पर कुछ खास लिखते है,,,,*

*लम्हे फुर्सत के आएं तो*
*रंजिशें भुला देना दोस्तों*

*किसी को नहीं खबर कि*
*सांसों  की मोहलत कहां तक है*

*जिन्दगी को कभी तो खुला छोड़ दो जीने के लिए ....*_
                  
_*बहुत सम्भाल के रखी चीज़ वक्त पर नहीं मिलती ....!!!!*_

*पता नहीं क्यों लोग...*
*रिश्ते छोड़ देते हैं*
*लेकिन जिद नहीं..!*

*ऐ तकदीर.....*
*ला तेरे हाथों की उँगलियाँ दबा दूँ मैं..*
*थक गई होगी मुझे नचाते नचाते....

ज़िन्दगी ये मेरी और भी हसीं हो सकता था यारों अगर...
        कुछ अपनों की निगाहों में हम पराये न होते।।

*तू भी कभी महसूस कर क्या है बिखरने की तड़प….?*

*एक रोज़ बाज़ी यूँ सजे,शीशा तेरा पत्थर मेरा..!!*

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...