शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

करीब

हमें कोई ना पहचान पाया करीब से,

कुछ अंधे थे...कुछ अंधेरों में थे।

_नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो,

मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो।।

करूँ क्यों फ़िक्र की
*मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी

*जहाँ होगी महफिल मेरे यारो की
*मेरी रूह वहाँ मिलेगी

मैं निकला सुख की तलाश में रस्ते में खड़े दुखो ने कहा,

*हमें साथ लिए बिना सुखों का पता नहीं मिलता जनाब.....

उठाकर देखी जब,*
*तस्वीरें बीते सालों की...

*ठहरा हुआ मिला,*
*एक वक़्त मुस्कुराता-सा.....

बुरे में अच्छा ढूँढो तो कोई बात बने,

*अच्छे में बुराई ढूँढना तो दुनिया का रिवाज है।

मेरी आँखों से..... जो गिरता है..... वो दरिया देखो........!

_*मैं हर..... हाल में ख़ुश हूँ..... मेरा नज़रिया देखो........!!

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