शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

दिल में इंतजार

दिल में इंतजार की लकीर छोङ जायेगे .........*

*आँखों में यादो की नमी छोड़  जायेगे.........

*ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ........

*जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोङ जायेगे.........!!!

तेरे दिल में मुझे उम्रकैद मिले...........

*थक जायें सारे वकील.........

*फिर भी जमानत ना मिले..........!!!

मुरझा गए फूल खिलकर हसरतों के........

*नाकाम हुए सपने हमारी मुहब्बतों के.........

*दुनियां ने छिन लिया मुझसे यार मेरा........

*मुझे याद आ रहे हैं दिन कुरबतों के.............!!!

निभाया वादा हमने शिकवा न किया........

*दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया.........

*जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए..........

*सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया............!!!

टूटेगा तेरा ये भरम धीरे-धीरे........

*निकलेगा इश्क़ में तेरा भी दम धीरे-धीरे.........

*आसान नही है इश्क़ के समंदर से निकल जाना.........

*डूबेगा इसमे तू भी सनम धीरे-धीरे.............!!!

कई ख्वाब मुस्कुराये सरे-शाम बेखुदी में........*

*मेरे लब पे आ गया था तेरा नाम बेखुदी में...........!!!

ऐ-जिंदगी तू खेलती बहुत है खुशियों से....!

*हम भी इरादे के पक्के हैं मुस्कुराना नहीं छोडेंगे ....!!

गुरुर किस बात का करें साहब ...!!*

*आज मिट्टी के ऊपर तो कल मिट्टी के नीचे ...

निखरती है मुसीबतों से
ही शख्सियत यारों !!
.
*जो चट्टान से ही ना उलझे
वो झरना किस काम का

स्मार्ट हो आप तो बुरे हम भी नही,
इंटेलिजेंट हो आप तो बुद्धू हम भी नहीं,
दोस्ती कर के कहते हो बिजी है हम,
याद करना हमसे सीखो फ्री तो हम भी नहीं..

मनुज आओ आगोश मे की इश्क-ए-अंजाम हो जाये..........

थोड़ा बुझे....थोड़ा जले....और दिसम्बर की शाम हो जाये.........

न्यू ईयर से पहले ...

जरा सा मुस्कुरा देना न्यू ईयर से पहले ….
हर गम को भुला देना न्यू ईयर से पहले ….
ना सोचो किस किस ने दिल दुखाया ,
सब को माफ कर देना न्यू ईयर से पहले …
क्या पता फिर मौका मिले ना मिले इसलिए,
दिल को साफ कर देना न्यू ईयर से पहले ...

मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

दर्द कागज़ पर

*दर्द कागज़ पर,
          *मेरा बिकता रहा,
*मैं बैचैन था,
          *रातभर लिखता रहा..
*छू रहे थे सब,
          *बुलंदियाँ आसमान की,
*मैं सितारों के बीच,
          *चाँद की तरह छिपता रहा..
*दरख़्त होता तो,
          *कब का टूट गया होता,
*मैं था नाज़ुक डाली,
          *जो सबके आगे झुकता रहा..
*बदले यहाँ लोगों ने,
         *रंग अपने-अपने ढंग से,
*रंग मेरा भी निखरा पर,
         *मैं मेहँदी की तरह पिसता रहा..
*जिनको जल्दी थी,
         *वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,
*मैं समन्दर से राज,
         *गहराई के सीखता रहा...........!!!

उम्र का पानी...

*खतरे के*
*निशान से ऊपर बह रहा है*
*उम्र का पानी...*

*वक़्त की बरसात है कि*
*थमने का नाम नहीं*
*ले रही...*

*आज दिल कर रहा था,*
*बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,*
*पर...*

*फिर सोचा,*
*उम्र का तकाज़ा है,*
*मनायेगा कौन...*

*रखा करो नजदीकियां,*
*ज़िन्दगी का कुछ भरोसा*
*नहीं...*

*फिर मत कहना*
*चले भी गए*
*और बताया भी नहीं...*

*चाहे जिधर से गुज़रिये,*
*मीठी सी हलचल*
*मचा दीजिये...*

*उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है,*
*अपनी उम्र का*
*मज़ा लिजिये....*

अनुभव

*लगन* व्यक्ति से वो करवा लेती है,
जो वह नहीं कर सकता।

*साहस* व्यक्ति से वो करवाता है,
जो वह कर सकता है।

किन्तु *अनुभव* व्यक्ति से वही करवाता है,
जो वास्तव में उसे करना चाहिये...!!!
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रविवार, 24 दिसंबर 2017

Biometric

जी जान लगा दी हमने,
“नाम” को “दस्तख़त” बनाने में।

ये “कमबख़्त” ज़माना लौटकर
“अंगूठे” पर आ गया।।

*Biometric

दोस्ती रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब.........*

*ताल्लुक कम करने से दोस्ती कम नहीं होती............!!!

रिश्ते बरकरार रखना चाहते हो ना....साहिब !*
*तो
*भावनाओं को देखो.........

*सम्भावनाओं को नही ..........!! !

बड़ी मतलबी है दुनिया........*

*सौदा संभल के कीजिये..........

*मतलबी लिफाफों में बेशुमार दिल मिलते हैं यहाँ...........!!!

कफ़न न मेरा हटाओ ज़माना देख न ले..........*

*मैं सो गया हूँ तुम्हारी निशानियाँ ले कर.............!!!

हिचकियों को न भेजो अपना मुखबिर बना कर.........*

*हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के अलावा............!!!

तज़ुर्बा

आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े,*
*मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़।*
[

फ़ासला भी ज़रूरी था.. चिराग़ रौशन करते वक़्त*
*ये तज़ुर्बा हासिल हुआ.. हाथ जल जाने के बाद।

ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम*....

*रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

कोरा कागज़

कोरा कागज़ था और कुछ बिखरे हुए लफ़्ज़*

ज़िक्र तेरा आया तो सारा कागज़ गुलाबी हो गया*

वजह की तलाश में,*
वक्त ना गवाया करो..*

वेवजह, बेपरवाह, बेझिझक..!*
बस मुस्कुरा के बोल दिया करो...*

हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे...
बहारें हमको ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे

इसी अंदाज़ से झूमेगा मौसम, गाएगी दुनिया
मोहब्बत फ़िर हसीं होगी, नज़ारे फ़िर जवाँ होंगे

न तुम होगे न हम होंगे, न दिल होगा मगर फ़िर भी
हज़ारों मंजिलें होंगी हज़ारों कारवां होंगे।

उड़ ना जाएँ कहीं खुशबुएँ तेरी....

ये सोच कर उस चादर की मैंने....   कभी तहें नहीं खोली.....

कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना

अरे दोस्त…. इश्क का रोग था…

मम्मी के चप्पल से ही आराम आया….

ना जाने कौनसी, दौलत हैं.........*

*कुछ  लोगों के ,लफ़्जों में.........

*बात करते है तो.......

*दिल ही खरीद लेते हैं .......!!!

यूँ असर डाला है-*
*मतलबी लोगों ने दुनिया पर ...

*प्रणाम भी करो तो-
*लोग समझते हैं कि
*जरूर कोई काम होगा!

बुरे वक्त सा हो गया हूँ मैं...
हर कोई भुलाने में लगा है...

शनिवार, 9 दिसंबर 2017

ठोकरें

दुख इस बात का नहीं की*
*दुश्मनों ने तीर चलाया है..
दुःख इस बात का है ,के
*निशाना दोस्तों ने बताया है..!

हमने बांटी हैं जहां में इस क़दर खुशियाँ
बाद मेरे जो मुझे सोचेगा, रो देगा
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी मे.........*

*पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है............!!!
अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह है.........

*अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं.............!!!
बांध कर मेरे हाथ पर ताबीज नज़र का..........
वो खुद मुझ पर नज़रें लगाये बैठे है............!!!

वो कहते हैं...भुला देना‬ पुरानी बातों को.......
कोई समझाए उन्हें के...ईश्क‬ कभी ‪‎पुराना नहीं‬ होता......

हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं

बुधवार, 6 दिसंबर 2017

समंदर को सुखाना

समंदर को सुखाना चाहता है,
मुझे इतना रुलाना चाहता है.

ये सहरा किस क़दर प्यासा हुआ है,
मुझे कतरा बनाना चाहता है.

मेरी तकदीर का कायल है फिर भी ,
मुझे  वो आज़माना चाहता है.

बहुत नज़दीक मेरे आ रहा है,
वो शायद दूर जाना चाहता है.

भटकने के अज़ब इक शौक में वो,
मुझे जंगल बनाना चाहता है.

नहीं मुझमे बसेगा वो कभी भी,
फकत कुछ दिन बिताना चाहता है.

जुदा तो हो गया है कब का मुझसे,
बिछुड़ने का बहाना चाहता है.

गुरूर

मुट्ठी में लिये कब्र की खाक
मैं ये सोचता हूँ फ़राज..!

इंसान जब मर जाते हैं, तो गुरूर कहाँ जाता है..!!

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज...हाल हमारा पूँछ कर.....

हाल हमारा वही है...जो तुमने बना रखा है.....

इक पथ्तर भी बेवफा हो तो...

वो पूरी दीवार गिरा देता है...

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

फ़क़ीर

जिसे पूजा था हमने वो खुदा ना हो सका,,

हम ही इबादत करते करते फ़क़ीर हो गए....!!!!

अपने जख्मों के लिए तलाशते रहे हसीं चारागर
मिला अब तक किसी के पास इस दर्द का इलाज नहीं

सांस और धड़कनों में रही अब तेरी भी याद नहीं
नसों में दौड़ती जिंदगी किसी की मोहताज नह

मनुज चुप थे तो चल रही थी*

ज़िँदगी लाज़वाब...

*अब ख़ामोशियाँ बोलने लगीं...
*तो बवाल हो गया..!!

मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है...

*मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है...

क्या खूब कहा है, किसी ने-
_*थक कर बैठा हूँ...
_*हार कर नहीं..!!

_*सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है... ज़िन्दगी नहीं.!!!!
     
        

रंज़िशें

मुद्दत बाद जब उसने मेरी खामोश आँखें देखी तो..!!
.
*ये कहकर फिर रुला गया कि लगता है अब सम्भल गए हो..!!

हम जिसे छिपाते फिरते हैं उम्रभर,वही बात बोल देती है*

*शायरी भी क्या गजब होती है,हर राज खोल देती है..

जान लेने पे तुले हे दोनो मेरी..
इश्क हार नही मानता..
दिल बात नही मानता

हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!!*

*कुछ दर्द चले जाते है दोस्तो के साथ मुस्कुराने में...!!*

सलीका इतना अदब का ,
*तो बरकरार रहे,

*रंज़िशें अपनी जगह हों,
*सलाम अपनी जगह  !
                                  

खामोशी

दिल की बातें दिल में ही छुपाये रखता हूँ ,
खामोशी को ही अपने अल्फाज़ बनाए रखता हूँ ॥
बेरंग सी लगने लगी है अब ये दुनिया ,
मै श्यामल-श्वेत को ही अपना आसमान बनाए रखता हूँ ॥
सुना है आनंदमय होती हैं बारिश की बूंदे, पर
मै पतझड़ को ही अपनी बरसात बनाए रखता हूँ ।
बडी़ दूर आ गया हूँ विराने रेत के सफर में,
साया खुद का भी दिख जाये तो ज्यदा देर टिकता नहीं,
कहीं कोई और ना आ जाये पिछे मेरे इन निशानों के सहारे ,
ये सोच के अपने हर निशान मिटाये रखता हूँ ॥

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...