मंगलवार, 18 सितंबर 2018

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया
सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया

कहा था किसी ने के सीख लो शायरी
ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को
फिर हमने अश्क़ भी लिखे अशआर भी लिखे
और तो और रूमानियत से भरे क़रार भी लिखे
पर यह रास्ता भी कोई काम ना आया
मोहब्बत की राहों मे कोई मुक़ाम ना आया

फिर कहा किसी में चित्रकारी सीखो
तो शायद कुछ पार पड़े
मोहब्बत की गुलमोहर
शायद इस बार झडे
जंगल, पहाड़ से राणा प्रताप तक
सर्द रातों से ले सुर्ख़ महताब तक
सब कुछ बनाया पर काम ना आया
इसबार भी मोहब्बत में मुक़ाम ना आया

फिर कहा किसी ने की
किस्सागोई सीखो
ज़माने को यह बहूत लुभाती हैं
गर क़िस्सों में हो कशिश बराबर
तो सुना है दुनिया भागी चली आती है
तो हमने क़िस्से भी लिखे
इश्क़ के, तन्हाई के
मिलन के,जुदाई के
ख़ुशियों कें तो कभी
ग़म की गहरी खाई के
पर यह हुनर भी कोई काम ना आया
मोहब्बत में कोई मुक़ाम ना आया

फिर कहा किसी ने
गर थोड़ा बनोगे सँवरोगे कुछ
अदाबते लाओगे तो इसबार
पक्का अच्छी सोहबतें पाओगे
फिर हमने टोपी पहनी, चश्मे लगाए
तरहा तरहा के जूते आज़माए
कभी ज़ुल्फ़ें गिरहगीर की
तो कभी ज़ुल्फ़ों में कुंतल बनायें
कभी धोती, कभी पतलून
कभी बंडी,कभी अचकन
गमछे से घुट्टने तक सभी आज़माया
पर मोहब्बत में अभी भी मुक़ाम ना आया

फिर कहा किसी ने बनो फोटोजेनिक
कुछ अलहदा तस्वीरें खिंचावाओ
यह भी इक रास्ता है इसे भी आज़माओ
फिर कभी पहाड़ों में तो झाड़ो में
कभी नदियों में तो कभी खाडो में
रेगिस्तान से ले सागर किनारे तक
मंदिर,  से ले गुरूद्वारे तक
कभी पूजा में कभी इबादत में
किले,महलों से ले हर इमारत में
बादलों के पार से लेकर उड़न खटोले तक
दुर्घटना में अस्पताल के ट्रोले तक
एक्शन में, ट्रेकशन में, फ़िक्शन में, इमोशन में
हर अदा में अलहदा तस्वीरें खिचवाई पर
खुदा क़सम मंज़िल इसबार भी हाथ ना आयी

अब सुन रहा हूँ की यह सब तो फ़िज़ूल था
खुदा को इबादत में सिर्फ भजन ही क़बूल था
बस यूँ ही गुज़ार दी ये ज़िंदगी
मोके मिले पर भुनाना ना आया
सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया
इस संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

मंगलवार, 21 अगस्त 2018

ख्वाहिशें

न चादर बड़ी कीजिये....
ख्वाहिशें दफन कीजिये...
चार दिन की ज़िन्दगी है
बस चैन से बसर कीजिये...
न परेशान किसी को कीजिये
न हैरान किसी को कीजिये...
कोई लाख गलत भी बोले...
बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये...
न रूठा किसी से कीजिये...
न झूठा वादा किसी से कीजिये..
कुछ फुरसत के पल निकालिये...
कभी खुद से भी मिला कीजिये...

गुरुवार, 5 जुलाई 2018

लफ़्ज़ क्यों शहद हुए.....

तेरा चेहरा , तेरी बातें , तेरी यादें ...

इतनी दौलत पहले कहाँ थी पास मेरे !!
​​​
ये लफ़्ज़ क्यों
शहद
हुए जा रहे है

कौन छू गया
हमारी
नज़्मों को होंठो से अपने......!!

मेरी गुस्ताखियों को तुम माफ़ करना ऐ दोस्त,

मै तुम्हें तुम्हारी इजाजत के बिना भी याद करता हूँ..
खुद का ख्याल मैंनें इसलिए भी रख लिया

कि दूर कोई जी रहा है मेरी खैरियत देखकर

मासूम मोहब्बत का बस इतना फसाना है,
कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है.

रह के सीने में मेरे तेरा तरफ़-दार है दिल

सारी पट्टी तेरी  आंखों की पढ़ाई हुई हैं

कलम से खत लिखने का रिवाज फिर आना चाहिए साहिब,

ये चैटिंग की दुनिया बड़ा फरेब फैला रही है...!!

बुधवार, 4 जुलाई 2018

मंज़र भी बेनूर....

  "मंज़र भी बेनूर थे और फिज़ाएँ भी बेरंग थी,
बस दोस्त याद आए और मौसम सुहाना हो गया"

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तमन्ना है, इस बार बरस जाये ईमान की बारिश*

*लोगों के ज़मीर पर
*धूल बहुत है.

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आज फिर से छाये है उनकी रहमत से बादल..!!

किस्मत में भीगना लीखा है या तरसना, खुदा जाने..!!
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आदत नहीं है मुझे सब पे फ़िदा होने की पर तुझ में,

कुछ बात ही ऐसी है की दिल को समझने का मौका ही नहीं मिला।
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दर्द आँखों से निकला, तो सब ने कहा कायर है ये*

*दर्द अल्फ़ाज़ में क्या ढला, सबने कहा शायर है ये
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बेहतरीन होता है वो रिश्ता.........

*जो तकरार होने के बाद भी सिर्फ एक मुस्कुराहट पर पहले जैसा हो जाए...........!!!

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" निखरती है मुसीबतों से ही!
*शख्सियत यारों !!*
*जो चट्टान से ही ना उलझे!*
*वो झरना किस काम का!!"*

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अपने कर्म पर विश्वास रखिए
              *राशियों पर नही.!
    *राशि तो राम और रावण की भी
                 *एक ही थी.!
       लेकिन नियती ने उन्हें फल
        उनके कर्म अनुसार दिया

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मिल जाता है दो पल का सुकूंन इस मोबाईल की बंदगी में !!*

*वरना परेशां कौन नहीं अपनी-अपनी ज़िंदगी में ??
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आँखो पे इलजा़म ख़ूब लग गए,

आओ अब गुनाह इशारों से करें...
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चुपके चुपके दिल
मिलने दो....धड़कन
से कहो शोर न हो....

तुम हो... मैं हूँ ...
और ये शमाँ हो...
दूर-दूर तक कोई और न हो...

शुक्रवार, 22 जून 2018

बेजुबान

दरअसल तुम सिर्फ वो जानते हो...जो मेरे लफ़्ज़ कहते हैं.
मेरी हिचक , अफसोस और तलब तो बेजुबान हैं.

रविवार, 27 मई 2018

प्यार की इक ग़ज़ल

मौत की बात ख्वाब लगती है
वो सभी को खराब लगती है

प्यार की इक ग़ज़ल सुनाओ फिर
खूबसूरत  जनाब  लगती है।

अक्स दिख जाए काँच में उनका
शायरी  पुरशबाब   लगती    है

वो खुली सी किताब है दिल की
उसकी सूरत शराब  लगती  है।

मुस्कुराहट हो दरमियाँ ग़म के
जिन्दगी  लाजवाब लगती है।

राह मुश्किल तभी चले सीधे
कंटकों में गुलाब लगती है।

शख्सियत वो जिसे सभी जाने
आज दीपा  जनाब  लगती है।

🎸दीपा परिहार 🎸
जोधपुर।

मंगलवार, 8 मई 2018

आंधी

बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई,आज मेरे शहर से आंधी
वो पेड़ अब भी मुस्कुरा रहें हैं, जिन्हें हुनर था थोडा झुक जाने का...!!

गुरुवार, 22 मार्च 2018

महफ़िल में

महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।

मुक़म्मल

ना ही शौक पूरे हुए , ना मुक़म्मल जिंदगी हुई
ये शहर-ऐ-जिंदगी ,
................     ज़िंदा रहने में ही चली गई ।।
मिला मौका जब दिल-ऐ-अरमान कहने का,
होठो तक आते आते ,ज़िन्दगी ही चली गयी

बुधवार, 14 मार्च 2018

घूँघट

यूँ हि नहीं आती  मिठास रिश्तों  में,
गुलकंद के लिये फूलों  को मरना पड़ता है ।।

मानों तो,
एक दिल का रिश्ता है हम सभी का..

ना मानों तो,
कौन क्या लगता है किसी का....!!

कुछ खूबसूरत साथ छूटा नहीं करते,

वक़्त के साथ लम्हे रूठा नहीं करते,

मिलते है कुछ दोस्त ऐसे ज़िन्दगी में,

जिनसे नाते कभी टुटा नहीं करते…

लफ्ज होते हैं इंसान का आईना*

*शक्ल का क्या

*वो तो उम्र और हालात के साथ अक्सर बदल जाती है*

इन्सान का पतन उस समय शुरू हो जाता है जब...

अपनो को गिराने की सलाह गैरो से लेना शुरू कर देता है !!

हुकूमत वो ही करता है,*
*जिसका दिलों पर राज होता है,

*वरना यूँ तो गली के मुर्गो के
*सिर पर भी ताज होता है !!

सिर्फ महसूस किये जाते हैं....*
*कुछ एहसास...कभी लिखे नहीं जाते.....!!

टूटे थर्मस सा हुआ अपनों का प्रेम.........*

भीतर टूटा कांच बाहर सुंदर फ्रेम..........!!!

खुद को समेट के, खुद में सिमट जाते हैं हम...!!*

*एक याद उसकी💕 आती है.. 💕फिर से बिखर जाते है हम...!!

पर्दा तो शर्म का ही काफी है,*

*वरना इशारे तो घूँघट में भी होते है..........

क्या-क्या समझ लेती है...

तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी....!!*

*प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे....!!

तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी....!!*

*प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे....!!

उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का...,,

पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहारो का...!!

एक पल में बरबाद कर दे जो दिल की सारी बस्ती,*
*वो लोग दिखने में अक्सर मासूम ही हुआ करते है ..

दुनिया का सबसे बेहतर टॉनिक है ज़िम्मेदारी...*

*एक बार पी लो ज़िंदगी भर* *थकने ही नही देता....

"वक्त्त"जब भी शिकार करता है* .......

*हर दिशा से वार करता है

एक मैं हूँ कि समझा नहीँ
*खुद को आज तक

*एक दुनिया है कि न जाने मुझे
*क्या-क्या समझ लेती है...

मंगलवार, 6 मार्च 2018

दुश्मन

आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े..*

*मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे..।।

कौन कहता है की ज़िन्दगी बहुत छोटी है. . .

सच तो ये है की हम जीना ही देर से शुरू करते है. . .

गलती हो गई हम से की हमने बात नहीं की आप से

पर खामोशी का चोला तो आप ने भी पहना था आप मना नही कर सकते

*बरबाद करने के और भी बहुत तरीके थे,

*न जाने तुम्हें मोहब्बत का ही ख्याल क्यों आया...

करार से जमीन जायदाद अपने नाम होते हैं

जनाब अपनो के लिए दिल कुर्बान करने पडते है

आगया है फर्क नजरों में तुम्हारी यकीनन,
अब तुम हमें एक खास अन्दाज़ से.....
नजरअन्दाज करते हो!

किसी ने ज़हर कहा है तो किसी ने शहद कहा है,

कोई समझ नहीं पाया है ज़ायका मोहब्बत का।।

देखा है आज मुझे भी गुस्से की नज़र से,*

*मालूम नहीं आज वो किस-किस से लड़े हैं...

रूठा हुआ है ,मूझसे इस बात पर जमाना,
शामिल नही है मेरी ‪‎फितरत‬ मे सर झुकाना।

ना जाने "कौन" सी "साजिशों" के हम "शिकार" हो गए...!!*
*के जितने "साफ दिल" के थे उतने "दागदार" हो गए...!!

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

Urdu shayari

यह ग़लत कहा किसी ने कि मेरा पता नहीं है
یہ غلط کہا کسی نے کہ میرا پتہ نہیں ہے

मुझे ढूंढने की हद तक कोई ढूँढता नहीं है
مجھے ڈھونڈھنے کی حد تک کوئی ڈھونڈتا نہیں ہے

फूल होते तो तेरे दर पे सजा भी देते
پھول ہوتے تو تیرے در پہ سجا بھی دیتے

मैं ज़ख़्म ले के तेरी दहलीज़ पे जाऊँ कैसे?
میں زخم لے کے تیری دہلیز پہ جاؤں کیسے

वहाँ तक साथ चलते हैं जहाँ तक साथ मुमकिन है
وہاں تک ساتھ چلتے ہیں جہاں تک ساتھ ممکن ہے

जहाँ हालात बदलेंगे वहाँ तुम भी बदल जाना
جہاں حالات بدلیں گے وہاں تم بھی بدل جانا

शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

अपने इन्तजार को,,,,

किस खत में रखकर भेजूं अपने इन्तजार को,,,,
बेजुबां हैं इश्क़ .....
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे....!!!!!

मुस्कराने के अब  बहाने नहीं ढूढने पडते

  आपको याद करते हैं  तमन्ना पुरी हो जाती है

तुम्हारी आवाज़ सुनकर ही....
दूर हो जाती तकलीफ़े मेरी....
सुनो....
तुम इश्क़ करते हो या इलाज़....

ख्वाहिशें तो बहुत थी,, हमारी भी!!!
मगर,, आखिरी तुम.बन कर रह गए हो.!!

मैं तुम्हारे "दिल" के ही "करीब" हूँ , तू जरा "महसूस" तो कर..

�सिर्फ "मुलाकातों" से ही "रिश्ते" "मज़बूत" नही हुआ करते ..!!

सुन  Friend
   आजकल अजीब सी
लत लग गई है तुम्हें
देखने की
पता नही इसे प्यार कहते हैं या
पागलपन....

कोई भूल गया है...कोई याद नही करता....

मैं भी चुप हूँ...और कोई बात नहीं करता...!!

हुई जो तुम्हारे होंठों की तलब,
खिलता हुआ गुलाब चूम लिया हमने !!

"किन अल्फाज़ो में कहूँ कि मुझे तुम्हारी आदत हो गई है....*.....!!

"ये खूबसूरत मोहब्बत तेरी..अब मेरी इबादत हो गई है....*.....!!
   

अच्छा लगता है मुझे उन लोगो से बात करना..

जो मेरे कुछ भी नही लगते पर फिर भी मेरे बहुत कुछ है

कभी जी #भर के #बरसना,
....कभी बूँद बूँद के लिए #तरसाना,

ऐ ... #बारिश तेरी #आदतें भी
मेरे #यार जैसी हैं,

आज तक देखा नहीं मैंने कहीं ऐसा शबाब,,,

तेरे होंठों के तबस्सुम से है शर्मिंदा गुलाब,,,
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है,

वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!!

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

इत्तेफाक

वो रोज़ मुजरिम ठहराते हैं मुझे अपने दिल की चोरी का ,😋

उनसे सजा माँगो तो मुस्कुरा कर बाहों में समेट लेते है ! 😍

“रूह ने मुझसे अकेले में कई बार कहा ,
जी लिए हो तो चलो जिस्म बदल कर आएँ..?❤️

तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है;

तुझे  देखूं तो दिल धड़के, ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
🌹

'तुम्हारा' मिलना इत्तेफाक नहीं था...
कभी...!

एक उम्र की तन्हाई का मेरा मुआवज़ा हो 'तुम'...!!😌

बंजर नहीं हूं...मुझमे भी नमी है...!!

बस दर्द बयां नहीं करता..इतनी सी कमी है....!!

सोमवार, 29 जनवरी 2018

मोहब्बत के सौदों

यारियाँ ही रह जाती है मुनाफ़ा बन के,
मोहब्बत के सौदों में नुक़सान बहुत है …

बैठे थे अपनी मस्ती में कि अचानक तड़प उठे.....

*आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया.....!!

कुछ ख़्वाहिशें, कुछ हसरतें अभी बाक़ी हैं, टूटकर भी लगता है टूटना अभी बाकी हैं।

होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को

गजल नशीली होकर , लडखडाती हुई निकलती है। .

अगर दूरी मुक़द्दर है तो ये जान लेना...


ख़ुदा भी दूर रहकर सबसे नज़दीक रहता है...

देख लो ... दिल पर कितने ज़ख़्म हैं....!

तुम तो कहते थे.... इश्क़ मरहम है..!!

मेरी रातें अक्सर
जागती हैं
तेरे खयालों में ..!!
कभी
तुम्हें भी इसका
अहसास हुआ क्या ....!!

हर शाम सुकूं को महफूज़ कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं, तुम्हें महसूस कर लेते हैं।....

सोमवार, 22 जनवरी 2018

सांकल की बोली

दरवाज़े प्रैक्टिकल होतें हैं_
_और खिड़कियाँ भावुक,

_दरवाज़े सिर्फ समझते हैं
_सांकल की बोली
_पैरों की आहटें,

_खिड़कियां पहचानती हैं
_दबे पाँव पुरवाई का
_चुपके से अंदर आ जाना,
_सवेरे की किरणों का
_भीतर तक उतर जाना,

_परिंदों का राग,
_मौसमों का वैराग,
_बादल की आवारगी,
_बूंदो की सिसकियाँ,
_घटते बढ़ते चाँद की
_ लम्बी-छोटी रातें,
_चांदनी के सज़दे,
_और टूट जाना किसी तारे का,
_खिड़कियाँ सब जान जाती हैं;

_दरवाज़े होते हैं सख्त,
_मजबूत
_नींबू-मिर्ची से सजे धजे
_अक्खड़ किसी दरबान से,

_खिड़कियाँ होती है
_अल्हड़,
_नादान और सहज;
_उनपर नही लिखना पड़ता,
_*"स्वागतम्"!

घुंघरू

किसको फिक्र है कि "कबीले"का क्या होगा..!*

*सब लड़ते इस पर हैं कि "सरदार" कौन होगा..!!

खुश हूँ अपनी छोटी सी पर सच्ची कामयाबी से...*

*कदमों की रफ़्तार धीमी जरूर है पर जितनी है..
*अपने जमीर के साथ है..!!

वो बुलंदियाँ भी*
*किस काम की मित्रों ,
*इंसान चढ़े और
*इंसानियत उतर जाये

किससे सीखू मैं रब की बंदगी,*
*सब लोग रब का बटवारा किये बैठे है.

*जो लोग कहते है, रब कण कण मे है,
*वही मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा लिए बैठे है!

जिम्मेदारियों के घुंघरू बंधे हैं

मुजरा-ए-रोजगार जारी है

याद करने की.........

तुम भी समझ रहे हो…हम भी समझ रहे हैं…
फिर दिल के सवालों में हम क्यों उलझ रहे हैं…!!

यूँ ही किसी के नाम को, किसी के नाम से, जोड़ा नहीं जाता...!!!
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*किसी के जज़्बात बिखर जाते हैं, और किसी का, कुछ नहीं जाता...!!!

वो अता करे तो शुक्र उसका*,
*वो न दे तो कोई मलाल नहीं

*मेरे रब के फ़ैसले कमाल हैं,
*उन फ़ैसलों पे कोई सवाल नहीं

तुम्हारा ख़याल है, या पशमीने का शाल ......

इन सर्दियो में लिहाफ कि तरह ओढे हुए हूँ मैं......❤

हैं जिनके पास अपने*,
         *वो अपनों से झगड़ते हैं...

*नहीं जिनका कोई अपना,
          *वो अपनों को तरसते हैं..।

लफ़्ज़ों के बोझ से,*
*थक जाती हैं ज़ुबान कभी कभी..

*पता नहीं खामोशी,
*मज़बूरी हैं या 'समझदारी' !!

ज़रा सी फुर्सत◆निकाल कर◆हमारा क़त्ल ही कर दो.★

यूँ तेरे इन्तजार में
◆तड़प-तड़प के मरना◆
हमसे नहीं होता.

एक ‪ज़ख्म‬ नहीं यहाँ तो सारा ‪वजूद‬ ही ज़ख्मी है,*

*दर्द भी ‪हैरान‬ है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!

सारी उम्र हम..........*

*मरने की दुआ करते रहे..........

*और जब जीना चाहा.........

*दुआ क़ुबूल हो गयी...........!!!

कभी कभी हम "दिल" के "हालात" भी "लिखते" हैं,

हर वक़्त "वाह वाह' की "ख्वाहिश" नहीं होती...

इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रखकर.......*

*कुछ वक़्त भेज दूं.........

*सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है..........

*अपनों को याद करने की............!!!

गुनाह

शिद्दत-ए-दर्द-में कमी ना आई जरा भी,

दर्द, दर्द ही रहा’

उल्टा भी लिखा सीधा भी लिखा”

दीदार की ‘तलब’ हो तो

नज़रे जमाये रखना ‘ग़ालिब’

क्युकी, ‘नकाब’ हो या ‘नसीब’…

सरकता जरुर है..!!

खुदा जाने कौन सा गुनाह कर बैठे है हम कि,. . .

तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे है ।

रविवार, 7 जनवरी 2018

ख्वाहिश

गैरो ने नसिहत दी,, और दिया अपनो ने धोखा...

*ये दुनिया है साहब, यहाँ चाहिए हर किसी को मौका
    
सुनो '''तुम लाख छुपाओ...मुझसे जो रिश्ता है....तुम्हारा,....

सयाने कहते हैं ...नजर अंदाज... करना भी...मुहब्बत है ....!

         
ये अमिर लोग जिस फटी हुई जीन्स,
को पहनकर बड़ी बड़ी पार्टियों में,
जाते है,

उस फटी जीन्स को पहनकर हम,
गाँव के लड़के गेहू काटते हैं..

एक अच्छा रिश्ता
हवा की तरह होना चाहीए
खामोश
हमेशा आसपास !!

कड़वा है,फीका है*,
*शिकवा क्या कीजिये.

*जीवन समझौता है,
*घूँट-घूँट पीजिये.....!!

शर्मों हया से उनकी पलकों का झुकना इस तरह ”

जैसे कोई फूल झुक रहा हो एक तितली के बोझ से।

कहते हैं

      जो हँसा, उसका घर बसा़।

             पर जिसका घर बसा, उससे पूछो......

वह फिर कब हँसा??

जायां ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए,*
*खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है।।

घर अपना बना लेते हैं, जो दिल में हमारे,*
*हम से वो परिंदे, उड़ाये नहीं जाते..!!

आँखे आपकी हो*

*या मेरी हो. . .

*बस इतनी सी ख्वाहिश है

*कभी नम न हो. . .

...मर गए

"कभी नोटो के लिए मर गए,
कभी वोटो के लिए मर गए,

कभी जात-पात के नाम पर मर गए,
कभी आपस मे 2 गज जमीनो के लिए मर गए,

होते अगर आज वीर भगत सिहँ तो कहते... यार सुखदेव...
हम भी किन कमीनो के लिए मर गए" !!!

जिंदगी की लड़ाई

अकेले ही लड़नी होती है,
जिंदगी की लड़ाई क्योंकि लोग
सिर्फ तसल्ली देते है साथ नही।
“शिक्षक” और “सड़क”
दोनों एक जैसे होते हैं
खुद जहाँ है वहीं पर रहते हैं
मगर दुसरो को उनकी
मंजिल तक पहुंचा हीं देते हैं!
अभ्यास हमें बलवान बनाता हैं,
    दुःख हमें इंसान बनाता हैं,
  हार हमें विनम्रता सिखाती हैं,
              जीत हमारे
     व्यक्तित्व को निखारती है,
                  लेकिन
         सिर्फ़ विश्वास ही है,
                  जो हमें
    आगे बढने की प्रेरणा देता है.
              इसलिए हमेशा
अपने लोगों पर अपने आप पर
         और अपने ईश्वर पर
      विश्वास रखना चाहिए

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

मोहब्बत का मज़ा

"मोहब्बत का मज़ा पागलपन में हैं...,,
समझदारियों में इश्क़ घुटन बन जाता हैं...!!!"

"मेरी उम्र की दास्तान लम्बी हैं
आराम कम हैं थकान लम्बी हैं

पैंर फिसलें तो खतायें याद आईं
कैंसे ठहरें अब ढलान लम्बी हैं

जिंदगी की जरूरतें समझों
वक्त कम हैं बहुत काम बाकी हैं

प्यार मोहब्बत औंर वफा की बातें
छोड़ियें साहब दास्तान लम्बी हैं...!!!"

इख्तीयार-ए-तरन्नुम

अर्ज किया है..

इख्तीयार-ए-तरन्नुम से तबस्सुम की रौशनी को
जला देना...
.
.
वाह..! वाह...!
.
.
जब इसका मतलब समझ में आये तो
मुझे भी बता देना..

मुल्क का हाल

महीने फिर वही होंगे, सुना है साल बदलेगा
परिंदे फिर वही होंगे, शिकारी जाल बदलेगा

वही हाकिम, वही ग़ुरबत, वही कातिल, वही गाज़िब,
न जाने कितने सालों में मुल्क का हाल बदलेगा

ख़याल की तरह...

गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह...
आ जाओ ज़िंदगी में नए साल की तरह...!!

कब तक तने रहोगे यूँ ही पेड़ की तरह...
झुक कर गले मिलो कभी तो डाल की तरह..!!

आँसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर..
लग जाओ मेरी आँख से रूमाल की तरह..!!

ग़म ने निभाया जैसे आप भी निभाइए...
मत साथ छोड़ जाओ गुज़रे साल की तरह...!!

बैठो भी अब ज़हन में सीधी बात की तरह....
उठते हो बार-बार क्यों सवाल की तरह...!!

अचरज करूँ मैं जिसको देख उम्र-भर...
हो जाओ ज़िंदगी में उस कमाल की तरह...!!

सुकून

कफ़न के कपड़ो में ये कैसा सुकून है...

जो भी ओढ़ता है.. चैन से सो जाता है...

जितनी भीड़ बढ़ रही है ज़माने में...

लोग उतनें ही अकेले होते जा रहे है...

           
बेशक माँ का रूतबा बहुत होता है...

लेकिन बाप फरिश्तोँ से कम नहीँ होते...

             
व्यक्त्ति जितना ईमानदार होता है...

उसकी तक़दीर उतनी ही खराब होने की संभावना होती है...

           
इन्सान कहता है कि पैसा आये तो मै कुछ करके दिखाऊ...

और पैसा कहता है कि तू कुछ करके दिखाए तो मैं आऊ...

हर ख्वाब के मुकद्दर में हकीकत नही होती...

कुछ ख्वाब ज़िन्दगी में ख्वाब ही रह जाते है...

कौन कहता है कि फरिश्ते स्वर्ग में बसते है...

कभी अपनी माँ को ध्यान से देखा है...

मत पूछना मेरी शख्सियत के बारे में ..

हम जैसे दिखते है वैसे ही लिखते है ।

लगता है दिल ने तालुक अभी नहीं तोड़ा,

तेरे नाम पे आंखे अब भी भर आती हैं..!!
अफ़सोस....
मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था....
बस तुमने ही पन्ने ज़ल्दी पलट दिए....

लगे हो ना #भूल जाने में मुझे ?
#मासूम सी दुआ है, #नाक़ाम रहो तुम.

ख्वाहिशें मेरी “अधुरी” ही सही पर ..
कोशिशे मै “पूरी” करता हूं….

हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं,
कितने लिखे अफ़साने, फिर भी सारे कागज़ कोरे हैं....

मुक़म्मल सा ....

कभी मुस्कुराती आँखे भी कर देती है कई दर्द बयां,
हर बात को रो कर ही बतानी ज़रूरी तो नहीं...!

रिश्ता कभी खत्म नहीं होता..
बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है,
आँखो से छूटा तो यादों में रह जाता है !!....

कभी हमारी दोस्ती के बारे में शक हो

      तो अकेले में एक सिक्का उछालना.....

अगर हेड आया तो हम दोस्त 
          और
    टेल आया तो पलट देना यार  अकेले में कौन देखता है........... आप ये msg उन friend को भेजीये जिन्हें आप खोना नहीं चाहते

बहुत सादगी से उतरते हैं
हर्फ़ मेरी रूह में .........

और एक मुक़म्मल सा
अफ़साना लिखते हैं ......

कुछ खुवाहिशें कुछ तमन्नाओं का
खामोश सा तराना लिखते हैं .....

उछलकर वो नहीं चलते जो माहिर फ़न में होते हैं......

छलक जाते हैं पैमाने जो ओछे बर्तन में होते हैं,,,,,,

*ग़म तो जनाब फ़ुरसत का शौक़ है,

*ख़ुशी में वक्त ही कहाँ मिलता है।

ख़ुशियों की बरसातें

इस नए साल में ख़ुशियों की बरसातें हों;

प्यार के दिन और मोहब्बत की रातें हों;

रंजिशें नफ़रतें मिट जायें सदा के लिए;

सभी के दिलों में ऐसी चाहते हों!

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...