आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े..*
*मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे..।।
कौन कहता है की ज़िन्दगी बहुत छोटी है. . .
सच तो ये है की हम जीना ही देर से शुरू करते है. . .
गलती हो गई हम से की हमने बात नहीं की आप से
पर खामोशी का चोला तो आप ने भी पहना था आप मना नही कर सकते
*बरबाद करने के और भी बहुत तरीके थे,
*न जाने तुम्हें मोहब्बत का ही ख्याल क्यों आया...
करार से जमीन जायदाद अपने नाम होते हैं
जनाब अपनो के लिए दिल कुर्बान करने पडते है
आगया है फर्क नजरों में तुम्हारी यकीनन,
अब तुम हमें एक खास अन्दाज़ से.....
नजरअन्दाज करते हो!
किसी ने ज़हर कहा है तो किसी ने शहद कहा है,
कोई समझ नहीं पाया है ज़ायका मोहब्बत का।।
देखा है आज मुझे भी गुस्से की नज़र से,*
*मालूम नहीं आज वो किस-किस से लड़े हैं...
रूठा हुआ है ,मूझसे इस बात पर जमाना,
शामिल नही है मेरी फितरत मे सर झुकाना।
ना जाने "कौन" सी "साजिशों" के हम "शिकार" हो गए...!!*
*के जितने "साफ दिल" के थे उतने "दागदार" हो गए...!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें