रविवार, 27 मई 2018

प्यार की इक ग़ज़ल

मौत की बात ख्वाब लगती है
वो सभी को खराब लगती है

प्यार की इक ग़ज़ल सुनाओ फिर
खूबसूरत  जनाब  लगती है।

अक्स दिख जाए काँच में उनका
शायरी  पुरशबाब   लगती    है

वो खुली सी किताब है दिल की
उसकी सूरत शराब  लगती  है।

मुस्कुराहट हो दरमियाँ ग़म के
जिन्दगी  लाजवाब लगती है।

राह मुश्किल तभी चले सीधे
कंटकों में गुलाब लगती है।

शख्सियत वो जिसे सभी जाने
आज दीपा  जनाब  लगती है।

🎸दीपा परिहार 🎸
जोधपुर।

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