मौत की बात ख्वाब लगती है
वो सभी को खराब लगती है
प्यार की इक ग़ज़ल सुनाओ फिर
खूबसूरत जनाब लगती है।
अक्स दिख जाए काँच में उनका
शायरी पुरशबाब लगती है
वो खुली सी किताब है दिल की
उसकी सूरत शराब लगती है।
मुस्कुराहट हो दरमियाँ ग़म के
जिन्दगी लाजवाब लगती है।
राह मुश्किल तभी चले सीधे
कंटकों में गुलाब लगती है।
शख्सियत वो जिसे सभी जाने
आज दीपा जनाब लगती है।
🎸दीपा परिहार 🎸
जोधपुर।
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