ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
ना ही शौक पूरे हुए , ना मुक़म्मल जिंदगी हुई
ये शहर-ऐ-जिंदगी ,
................ ज़िंदा रहने में ही चली गई ।।
मिला मौका जब दिल-ऐ-अरमान कहने का,
होठो तक आते आते ,ज़िन्दगी ही चली गयी
यूँ हि नहीं आती मिठास रिश्तों में,
गुलकंद के लिये फूलों को मरना पड़ता है ।।
मानों तो,
एक दिल का रिश्ता है हम सभी का..
ना मानों तो,
कौन क्या लगता है किसी का....!!
कुछ खूबसूरत साथ छूटा नहीं करते,
वक़्त के साथ लम्हे रूठा नहीं करते,
मिलते है कुछ दोस्त ऐसे ज़िन्दगी में,
जिनसे नाते कभी टुटा नहीं करते…
लफ्ज होते हैं इंसान का आईना*
*शक्ल का क्या
*वो तो उम्र और हालात के साथ अक्सर बदल जाती है*
इन्सान का पतन उस समय शुरू हो जाता है जब...
अपनो को गिराने की सलाह गैरो से लेना शुरू कर देता है !!
हुकूमत वो ही करता है,*
*जिसका दिलों पर राज होता है,
*वरना यूँ तो गली के मुर्गो के
*सिर पर भी ताज होता है !!
सिर्फ महसूस किये जाते हैं....*
*कुछ एहसास...कभी लिखे नहीं जाते.....!!
टूटे थर्मस सा हुआ अपनों का प्रेम.........*
भीतर टूटा कांच बाहर सुंदर फ्रेम..........!!!
खुद को समेट के, खुद में सिमट जाते हैं हम...!!*
*एक याद उसकी💕 आती है.. 💕फिर से बिखर जाते है हम...!!
पर्दा तो शर्म का ही काफी है,*
*वरना इशारे तो घूँघट में भी होते है..........
तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी....!!*
*प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे....!!
तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी....!!*
*प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे....!!
उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का...,,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहारो का...!!
एक पल में बरबाद कर दे जो दिल की सारी बस्ती,*
*वो लोग दिखने में अक्सर मासूम ही हुआ करते है ..
दुनिया का सबसे बेहतर टॉनिक है ज़िम्मेदारी...*
*एक बार पी लो ज़िंदगी भर* *थकने ही नही देता....
"वक्त्त"जब भी शिकार करता है* .......
*हर दिशा से वार करता है
एक मैं हूँ कि समझा नहीँ
*खुद को आज तक
*एक दुनिया है कि न जाने मुझे
*क्या-क्या समझ लेती है...
आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े..*
*मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे..।।
कौन कहता है की ज़िन्दगी बहुत छोटी है. . .
सच तो ये है की हम जीना ही देर से शुरू करते है. . .
गलती हो गई हम से की हमने बात नहीं की आप से
पर खामोशी का चोला तो आप ने भी पहना था आप मना नही कर सकते
*बरबाद करने के और भी बहुत तरीके थे,
*न जाने तुम्हें मोहब्बत का ही ख्याल क्यों आया...
करार से जमीन जायदाद अपने नाम होते हैं
जनाब अपनो के लिए दिल कुर्बान करने पडते है
आगया है फर्क नजरों में तुम्हारी यकीनन,
अब तुम हमें एक खास अन्दाज़ से.....
नजरअन्दाज करते हो!
किसी ने ज़हर कहा है तो किसी ने शहद कहा है,
कोई समझ नहीं पाया है ज़ायका मोहब्बत का।।
देखा है आज मुझे भी गुस्से की नज़र से,*
*मालूम नहीं आज वो किस-किस से लड़े हैं...
रूठा हुआ है ,मूझसे इस बात पर जमाना,
शामिल नही है मेरी फितरत मे सर झुकाना।
ना जाने "कौन" सी "साजिशों" के हम "शिकार" हो गए...!!*
*के जितने "साफ दिल" के थे उतने "दागदार" हो गए...!!
संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...