मंगलवार, 21 अगस्त 2018

ख्वाहिशें

न चादर बड़ी कीजिये....
ख्वाहिशें दफन कीजिये...
चार दिन की ज़िन्दगी है
बस चैन से बसर कीजिये...
न परेशान किसी को कीजिये
न हैरान किसी को कीजिये...
कोई लाख गलत भी बोले...
बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये...
न रूठा किसी से कीजिये...
न झूठा वादा किसी से कीजिये..
कुछ फुरसत के पल निकालिये...
कभी खुद से भी मिला कीजिये...

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...