गुरुवार, 4 जनवरी 2018

मुक़म्मल सा ....

कभी मुस्कुराती आँखे भी कर देती है कई दर्द बयां,
हर बात को रो कर ही बतानी ज़रूरी तो नहीं...!

रिश्ता कभी खत्म नहीं होता..
बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है,
आँखो से छूटा तो यादों में रह जाता है !!....

कभी हमारी दोस्ती के बारे में शक हो

      तो अकेले में एक सिक्का उछालना.....

अगर हेड आया तो हम दोस्त 
          और
    टेल आया तो पलट देना यार  अकेले में कौन देखता है........... आप ये msg उन friend को भेजीये जिन्हें आप खोना नहीं चाहते

बहुत सादगी से उतरते हैं
हर्फ़ मेरी रूह में .........

और एक मुक़म्मल सा
अफ़साना लिखते हैं ......

कुछ खुवाहिशें कुछ तमन्नाओं का
खामोश सा तराना लिखते हैं .....

उछलकर वो नहीं चलते जो माहिर फ़न में होते हैं......

छलक जाते हैं पैमाने जो ओछे बर्तन में होते हैं,,,,,,

*ग़म तो जनाब फ़ुरसत का शौक़ है,

*ख़ुशी में वक्त ही कहाँ मिलता है।

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