यारियाँ ही रह जाती है मुनाफ़ा बन के,
मोहब्बत के सौदों में नुक़सान बहुत है …
बैठे थे अपनी मस्ती में कि अचानक तड़प उठे.....
*आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया.....!!
कुछ ख़्वाहिशें, कुछ हसरतें अभी बाक़ी हैं, टूटकर भी लगता है टूटना अभी बाकी हैं।
होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को
गजल नशीली होकर , लडखडाती हुई निकलती है। .
अगर दूरी मुक़द्दर है तो ये जान लेना...
ख़ुदा भी दूर रहकर सबसे नज़दीक रहता है...
देख लो ... दिल पर कितने ज़ख़्म हैं....!
तुम तो कहते थे.... इश्क़ मरहम है..!!
मेरी रातें अक्सर
जागती हैं
तेरे खयालों में ..!!
कभी
तुम्हें भी इसका
अहसास हुआ क्या ....!!
हर शाम सुकूं को महफूज़ कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं, तुम्हें महसूस कर लेते हैं।....
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