"कभी नोटो के लिए मर गए,
कभी वोटो के लिए मर गए,
कभी जात-पात के नाम पर मर गए,
कभी आपस मे 2 गज जमीनो के लिए मर गए,
होते अगर आज वीर भगत सिहँ तो कहते... यार सुखदेव...
हम भी किन कमीनो के लिए मर गए" !!!
संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें