गुरुवार, 4 जनवरी 2018

मुल्क का हाल

महीने फिर वही होंगे, सुना है साल बदलेगा
परिंदे फिर वही होंगे, शिकारी जाल बदलेगा

वही हाकिम, वही ग़ुरबत, वही कातिल, वही गाज़िब,
न जाने कितने सालों में मुल्क का हाल बदलेगा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...