रविवार, 7 जनवरी 2018

ख्वाहिश

गैरो ने नसिहत दी,, और दिया अपनो ने धोखा...

*ये दुनिया है साहब, यहाँ चाहिए हर किसी को मौका
    
सुनो '''तुम लाख छुपाओ...मुझसे जो रिश्ता है....तुम्हारा,....

सयाने कहते हैं ...नजर अंदाज... करना भी...मुहब्बत है ....!

         
ये अमिर लोग जिस फटी हुई जीन्स,
को पहनकर बड़ी बड़ी पार्टियों में,
जाते है,

उस फटी जीन्स को पहनकर हम,
गाँव के लड़के गेहू काटते हैं..

एक अच्छा रिश्ता
हवा की तरह होना चाहीए
खामोश
हमेशा आसपास !!

कड़वा है,फीका है*,
*शिकवा क्या कीजिये.

*जीवन समझौता है,
*घूँट-घूँट पीजिये.....!!

शर्मों हया से उनकी पलकों का झुकना इस तरह ”

जैसे कोई फूल झुक रहा हो एक तितली के बोझ से।

कहते हैं

      जो हँसा, उसका घर बसा़।

             पर जिसका घर बसा, उससे पूछो......

वह फिर कब हँसा??

जायां ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए,*
*खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है।।

घर अपना बना लेते हैं, जो दिल में हमारे,*
*हम से वो परिंदे, उड़ाये नहीं जाते..!!

आँखे आपकी हो*

*या मेरी हो. . .

*बस इतनी सी ख्वाहिश है

*कभी नम न हो. . .

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