सोमवार, 22 जनवरी 2018

घुंघरू

किसको फिक्र है कि "कबीले"का क्या होगा..!*

*सब लड़ते इस पर हैं कि "सरदार" कौन होगा..!!

खुश हूँ अपनी छोटी सी पर सच्ची कामयाबी से...*

*कदमों की रफ़्तार धीमी जरूर है पर जितनी है..
*अपने जमीर के साथ है..!!

वो बुलंदियाँ भी*
*किस काम की मित्रों ,
*इंसान चढ़े और
*इंसानियत उतर जाये

किससे सीखू मैं रब की बंदगी,*
*सब लोग रब का बटवारा किये बैठे है.

*जो लोग कहते है, रब कण कण मे है,
*वही मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा लिए बैठे है!

जिम्मेदारियों के घुंघरू बंधे हैं

मुजरा-ए-रोजगार जारी है

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