शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

इत्तेफाक

वो रोज़ मुजरिम ठहराते हैं मुझे अपने दिल की चोरी का ,😋

उनसे सजा माँगो तो मुस्कुरा कर बाहों में समेट लेते है ! 😍

“रूह ने मुझसे अकेले में कई बार कहा ,
जी लिए हो तो चलो जिस्म बदल कर आएँ..?❤️

तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है;

तुझे  देखूं तो दिल धड़के, ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
🌹

'तुम्हारा' मिलना इत्तेफाक नहीं था...
कभी...!

एक उम्र की तन्हाई का मेरा मुआवज़ा हो 'तुम'...!!😌

बंजर नहीं हूं...मुझमे भी नमी है...!!

बस दर्द बयां नहीं करता..इतनी सी कमी है....!!

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