शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

अपने इन्तजार को,,,,

किस खत में रखकर भेजूं अपने इन्तजार को,,,,
बेजुबां हैं इश्क़ .....
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे....!!!!!

मुस्कराने के अब  बहाने नहीं ढूढने पडते

  आपको याद करते हैं  तमन्ना पुरी हो जाती है

तुम्हारी आवाज़ सुनकर ही....
दूर हो जाती तकलीफ़े मेरी....
सुनो....
तुम इश्क़ करते हो या इलाज़....

ख्वाहिशें तो बहुत थी,, हमारी भी!!!
मगर,, आखिरी तुम.बन कर रह गए हो.!!

मैं तुम्हारे "दिल" के ही "करीब" हूँ , तू जरा "महसूस" तो कर..

�सिर्फ "मुलाकातों" से ही "रिश्ते" "मज़बूत" नही हुआ करते ..!!

सुन  Friend
   आजकल अजीब सी
लत लग गई है तुम्हें
देखने की
पता नही इसे प्यार कहते हैं या
पागलपन....

कोई भूल गया है...कोई याद नही करता....

मैं भी चुप हूँ...और कोई बात नहीं करता...!!

हुई जो तुम्हारे होंठों की तलब,
खिलता हुआ गुलाब चूम लिया हमने !!

"किन अल्फाज़ो में कहूँ कि मुझे तुम्हारी आदत हो गई है....*.....!!

"ये खूबसूरत मोहब्बत तेरी..अब मेरी इबादत हो गई है....*.....!!
   

अच्छा लगता है मुझे उन लोगो से बात करना..

जो मेरे कुछ भी नही लगते पर फिर भी मेरे बहुत कुछ है

कभी जी #भर के #बरसना,
....कभी बूँद बूँद के लिए #तरसाना,

ऐ ... #बारिश तेरी #आदतें भी
मेरे #यार जैसी हैं,

आज तक देखा नहीं मैंने कहीं ऐसा शबाब,,,

तेरे होंठों के तबस्सुम से है शर्मिंदा गुलाब,,,
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है,

वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!!

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