शनिवार, 9 दिसंबर 2017

ठोकरें

दुख इस बात का नहीं की*
*दुश्मनों ने तीर चलाया है..
दुःख इस बात का है ,के
*निशाना दोस्तों ने बताया है..!

हमने बांटी हैं जहां में इस क़दर खुशियाँ
बाद मेरे जो मुझे सोचेगा, रो देगा
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी मे.........*

*पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है............!!!
अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह है.........

*अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं.............!!!
बांध कर मेरे हाथ पर ताबीज नज़र का..........
वो खुद मुझ पर नज़रें लगाये बैठे है............!!!

वो कहते हैं...भुला देना‬ पुरानी बातों को.......
कोई समझाए उन्हें के...ईश्क‬ कभी ‪‎पुराना नहीं‬ होता......

हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं

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