जी जान लगा दी हमने,
“नाम” को “दस्तख़त” बनाने में।
ये “कमबख़्त” ज़माना लौटकर
“अंगूठे” पर आ गया।।
*Biometric
दोस्ती रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब.........*
*ताल्लुक कम करने से दोस्ती कम नहीं होती............!!!
रिश्ते बरकरार रखना चाहते हो ना....साहिब !*
*तो
*भावनाओं को देखो.........
*सम्भावनाओं को नही ..........!! !
बड़ी मतलबी है दुनिया........*
*सौदा संभल के कीजिये..........
*मतलबी लिफाफों में बेशुमार दिल मिलते हैं यहाँ...........!!!
कफ़न न मेरा हटाओ ज़माना देख न ले..........*
*मैं सो गया हूँ तुम्हारी निशानियाँ ले कर.............!!!
हिचकियों को न भेजो अपना मुखबिर बना कर.........*
*हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के अलावा............!!!
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