बुधवार, 27 दिसंबर 2017

उम्र का पानी...

*खतरे के*
*निशान से ऊपर बह रहा है*
*उम्र का पानी...*

*वक़्त की बरसात है कि*
*थमने का नाम नहीं*
*ले रही...*

*आज दिल कर रहा था,*
*बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,*
*पर...*

*फिर सोचा,*
*उम्र का तकाज़ा है,*
*मनायेगा कौन...*

*रखा करो नजदीकियां,*
*ज़िन्दगी का कुछ भरोसा*
*नहीं...*

*फिर मत कहना*
*चले भी गए*
*और बताया भी नहीं...*

*चाहे जिधर से गुज़रिये,*
*मीठी सी हलचल*
*मचा दीजिये...*

*उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है,*
*अपनी उम्र का*
*मज़ा लिजिये....*

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