शनिवार, 2 दिसंबर 2017

फ़क़ीर

जिसे पूजा था हमने वो खुदा ना हो सका,,

हम ही इबादत करते करते फ़क़ीर हो गए....!!!!

अपने जख्मों के लिए तलाशते रहे हसीं चारागर
मिला अब तक किसी के पास इस दर्द का इलाज नहीं

सांस और धड़कनों में रही अब तेरी भी याद नहीं
नसों में दौड़ती जिंदगी किसी की मोहताज नह

मनुज चुप थे तो चल रही थी*

ज़िँदगी लाज़वाब...

*अब ख़ामोशियाँ बोलने लगीं...
*तो बवाल हो गया..!!

मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है...

*मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है...

क्या खूब कहा है, किसी ने-
_*थक कर बैठा हूँ...
_*हार कर नहीं..!!

_*सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है... ज़िन्दगी नहीं.!!!!
     
        

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