गुरुवार, 9 नवंबर 2017

महफील

ना पैसा लगता हैं*
ना ख़र्चा लगता हैं
"  *याद तो करे "
*बड़ा अच्छा लगता हैं

महफील भले ही प्यार  करने वालो की हो,*

*उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है।

जिन्दगी को कभी तो खुला छोड़ दो जीने के लिए .....
               
*बहुत सम्भाल के रखी चीज़ वक्त पर नहीं मिलती ......

नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की

तेरी यादें, तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...