रविवार, 19 नवंबर 2017

कशमकश

सुना भी कुछ नही,..कहा भी कुछ नही,.....

पर ऐसे बिखरे है ज़िंदगी की कशमकश मे......

कि टूटा भी कुछ नही....और बचा भी कुछ नही......

ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...*
*तू गुमां न कर...

*बुलंदियाँ छू हजार, मगर...*
*उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर...

जिद कर ही बैठे हो जाने की, तो ये भी सुन ले*

*खैरियत मेरी.... कभी गैरों से मत पूछे...

ना  तंग  करो  हमे, हम  सताये  हुए  है,
मोहब्बत  का  गम  दिल  पे  उठाये  हुए  है;

खिलौना  समझकर  यूँ  ना  खेलो  हमसे,
हम  भी  उसी  खुदा  के  बनाये  हुए  है_!!

हादसे कुछ जिन्दगी*
  *में एेसे हो गये;

   *हम समंदर से भी*
      *ज्यादा गहरे हो गये..!

ऐ उम्र...
अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
बचपन तो छीन लिया
बचपना छीन कर बता

दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता,
हर रास्ते का मुक़ाम नहीं होता,
अगर निभाने की चाहत हो दोनों तरफ,
तो क़सम से कोई रिश्ता नाक़ाम नहीं होता !!

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