तुम भी समझ रहे हो…हम भी समझ रहे हैं…
फिर दिल के सवालों में हम क्यों उलझ रहे हैं…!!
यूँ ही किसी के नाम को, किसी के नाम से, जोड़ा नहीं जाता...!!!
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*किसी के जज़्बात बिखर जाते हैं, और किसी का, कुछ नहीं जाता...!!!
वो अता करे तो शुक्र उसका*,
*वो न दे तो कोई मलाल नहीं
*मेरे रब के फ़ैसले कमाल हैं,
*उन फ़ैसलों पे कोई सवाल नहीं
तुम्हारा ख़याल है, या पशमीने का शाल ......
इन सर्दियो में लिहाफ कि तरह ओढे हुए हूँ मैं......❤
हैं जिनके पास अपने*,
*वो अपनों से झगड़ते हैं...
*नहीं जिनका कोई अपना,
*वो अपनों को तरसते हैं..।
लफ़्ज़ों के बोझ से,*
*थक जाती हैं ज़ुबान कभी कभी..
*पता नहीं खामोशी,
*मज़बूरी हैं या 'समझदारी' !!
ज़रा सी फुर्सत◆निकाल कर◆हमारा क़त्ल ही कर दो.★
यूँ तेरे इन्तजार में
◆तड़प-तड़प के मरना◆
हमसे नहीं होता.
एक ज़ख्म नहीं यहाँ तो सारा वजूद ही ज़ख्मी है,*
*दर्द भी हैरान है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!
सारी उम्र हम..........*
*मरने की दुआ करते रहे..........
*और जब जीना चाहा.........
*दुआ क़ुबूल हो गयी...........!!!
कभी कभी हम "दिल" के "हालात" भी "लिखते" हैं,
हर वक़्त "वाह वाह' की "ख्वाहिश" नहीं होती...
इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रखकर.......*
*कुछ वक़्त भेज दूं.........
*सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है..........
*अपनों को याद करने की............!!!