सोमवार, 25 दिसंबर 2017

Biometric

जी जान लगा दी हमने,
“नाम” को “दस्तख़त” बनाने में।

ये “कमबख़्त” ज़माना लौटकर
“अंगूठे” पर आ गया।।

*Biometric

दोस्ती रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब.........*

*ताल्लुक कम करने से दोस्ती कम नहीं होती............!!!

रिश्ते बरकरार रखना चाहते हो ना....साहिब !*
*तो
*भावनाओं को देखो.........

*सम्भावनाओं को नही ..........!! !

बड़ी मतलबी है दुनिया........*

*सौदा संभल के कीजिये..........

*मतलबी लिफाफों में बेशुमार दिल मिलते हैं यहाँ...........!!!

कफ़न न मेरा हटाओ ज़माना देख न ले..........*

*मैं सो गया हूँ तुम्हारी निशानियाँ ले कर.............!!!

हिचकियों को न भेजो अपना मुखबिर बना कर.........*

*हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के अलावा............!!!

तज़ुर्बा

आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े,*
*मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़।*
[

फ़ासला भी ज़रूरी था.. चिराग़ रौशन करते वक़्त*
*ये तज़ुर्बा हासिल हुआ.. हाथ जल जाने के बाद।

ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम*....

*रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

कोरा कागज़

कोरा कागज़ था और कुछ बिखरे हुए लफ़्ज़*

ज़िक्र तेरा आया तो सारा कागज़ गुलाबी हो गया*

वजह की तलाश में,*
वक्त ना गवाया करो..*

वेवजह, बेपरवाह, बेझिझक..!*
बस मुस्कुरा के बोल दिया करो...*

हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे...
बहारें हमको ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे

इसी अंदाज़ से झूमेगा मौसम, गाएगी दुनिया
मोहब्बत फ़िर हसीं होगी, नज़ारे फ़िर जवाँ होंगे

न तुम होगे न हम होंगे, न दिल होगा मगर फ़िर भी
हज़ारों मंजिलें होंगी हज़ारों कारवां होंगे।

उड़ ना जाएँ कहीं खुशबुएँ तेरी....

ये सोच कर उस चादर की मैंने....   कभी तहें नहीं खोली.....

कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना

अरे दोस्त…. इश्क का रोग था…

मम्मी के चप्पल से ही आराम आया….

ना जाने कौनसी, दौलत हैं.........*

*कुछ  लोगों के ,लफ़्जों में.........

*बात करते है तो.......

*दिल ही खरीद लेते हैं .......!!!

यूँ असर डाला है-*
*मतलबी लोगों ने दुनिया पर ...

*प्रणाम भी करो तो-
*लोग समझते हैं कि
*जरूर कोई काम होगा!

बुरे वक्त सा हो गया हूँ मैं...
हर कोई भुलाने में लगा है...

शनिवार, 9 दिसंबर 2017

ठोकरें

दुख इस बात का नहीं की*
*दुश्मनों ने तीर चलाया है..
दुःख इस बात का है ,के
*निशाना दोस्तों ने बताया है..!

हमने बांटी हैं जहां में इस क़दर खुशियाँ
बाद मेरे जो मुझे सोचेगा, रो देगा
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी मे.........*

*पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है............!!!
अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह है.........

*अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं.............!!!
बांध कर मेरे हाथ पर ताबीज नज़र का..........
वो खुद मुझ पर नज़रें लगाये बैठे है............!!!

वो कहते हैं...भुला देना‬ पुरानी बातों को.......
कोई समझाए उन्हें के...ईश्क‬ कभी ‪‎पुराना नहीं‬ होता......

हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं

गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

समंदर को सुखाना

समंदर को सुखाना चाहता है,
मुझे इतना रुलाना चाहता है.

ये सहरा किस क़दर प्यासा हुआ है,
मुझे कतरा बनाना चाहता है.

मेरी तकदीर का कायल है फिर भी ,
मुझे  वो आज़माना चाहता है.

बहुत नज़दीक मेरे आ रहा है,
वो शायद दूर जाना चाहता है.

भटकने के अज़ब इक शौक में वो,
मुझे जंगल बनाना चाहता है.

नहीं मुझमे बसेगा वो कभी भी,
फकत कुछ दिन बिताना चाहता है.

जुदा तो हो गया है कब का मुझसे,
बिछुड़ने का बहाना चाहता है.

गुरूर

मुट्ठी में लिये कब्र की खाक
मैं ये सोचता हूँ फ़राज..!

इंसान जब मर जाते हैं, तो गुरूर कहाँ जाता है..!!

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज...हाल हमारा पूँछ कर.....

हाल हमारा वही है...जो तुमने बना रखा है.....

इक पथ्तर भी बेवफा हो तो...

वो पूरी दीवार गिरा देता है...

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

फ़क़ीर

जिसे पूजा था हमने वो खुदा ना हो सका,,

हम ही इबादत करते करते फ़क़ीर हो गए....!!!!

अपने जख्मों के लिए तलाशते रहे हसीं चारागर
मिला अब तक किसी के पास इस दर्द का इलाज नहीं

सांस और धड़कनों में रही अब तेरी भी याद नहीं
नसों में दौड़ती जिंदगी किसी की मोहताज नह

मनुज चुप थे तो चल रही थी*

ज़िँदगी लाज़वाब...

*अब ख़ामोशियाँ बोलने लगीं...
*तो बवाल हो गया..!!

मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है...

*मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है...

क्या खूब कहा है, किसी ने-
_*थक कर बैठा हूँ...
_*हार कर नहीं..!!

_*सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है... ज़िन्दगी नहीं.!!!!
     
        

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...