गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

गुरूर

मुट्ठी में लिये कब्र की खाक
मैं ये सोचता हूँ फ़राज..!

इंसान जब मर जाते हैं, तो गुरूर कहाँ जाता है..!!

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज...हाल हमारा पूँछ कर.....

हाल हमारा वही है...जो तुमने बना रखा है.....

इक पथ्तर भी बेवफा हो तो...

वो पूरी दीवार गिरा देता है...

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

फ़क़ीर

जिसे पूजा था हमने वो खुदा ना हो सका,,

हम ही इबादत करते करते फ़क़ीर हो गए....!!!!

अपने जख्मों के लिए तलाशते रहे हसीं चारागर
मिला अब तक किसी के पास इस दर्द का इलाज नहीं

सांस और धड़कनों में रही अब तेरी भी याद नहीं
नसों में दौड़ती जिंदगी किसी की मोहताज नह

मनुज चुप थे तो चल रही थी*

ज़िँदगी लाज़वाब...

*अब ख़ामोशियाँ बोलने लगीं...
*तो बवाल हो गया..!!

मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है...

*मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है...

क्या खूब कहा है, किसी ने-
_*थक कर बैठा हूँ...
_*हार कर नहीं..!!

_*सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है... ज़िन्दगी नहीं.!!!!
     
        

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

रंज़िशें

मुद्दत बाद जब उसने मेरी खामोश आँखें देखी तो..!!
.
*ये कहकर फिर रुला गया कि लगता है अब सम्भल गए हो..!!

हम जिसे छिपाते फिरते हैं उम्रभर,वही बात बोल देती है*

*शायरी भी क्या गजब होती है,हर राज खोल देती है..

जान लेने पे तुले हे दोनो मेरी..
इश्क हार नही मानता..
दिल बात नही मानता

हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!!*

*कुछ दर्द चले जाते है दोस्तो के साथ मुस्कुराने में...!!*

सलीका इतना अदब का ,
*तो बरकरार रहे,

*रंज़िशें अपनी जगह हों,
*सलाम अपनी जगह  !
                                  

खामोशी

दिल की बातें दिल में ही छुपाये रखता हूँ ,
खामोशी को ही अपने अल्फाज़ बनाए रखता हूँ ॥
बेरंग सी लगने लगी है अब ये दुनिया ,
मै श्यामल-श्वेत को ही अपना आसमान बनाए रखता हूँ ॥
सुना है आनंदमय होती हैं बारिश की बूंदे, पर
मै पतझड़ को ही अपनी बरसात बनाए रखता हूँ ।
बडी़ दूर आ गया हूँ विराने रेत के सफर में,
साया खुद का भी दिख जाये तो ज्यदा देर टिकता नहीं,
कहीं कोई और ना आ जाये पिछे मेरे इन निशानों के सहारे ,
ये सोच के अपने हर निशान मिटाये रखता हूँ ॥

गुरुवार, 30 नवंबर 2017

थोडा थक गया हूँ , , ,

थोडा थक गया हूँ , , ,
दूर निकलना छोड दिया है।
*. . . पर ऐसा नहीं है की , , ,*
*मैंने चलना छोड दिया है ।।*

     फासले अक्सर रिश्तों में , , ,
    . . . दूरी बढ़ा देते हैं।
     *. . . पर ऐसा नही है की , , ,*
*मैंने अपनों से मिलना छोड दिया है ।।*

हाँ . . . ज़रा अकेला हूँ , , , दुनिया की भीड में।
*. . . पर ऐसा नही की , , ,*
*मैंने अपनापन छोड दिया है ।।*

    याद करता हूँ अपनों को, ,
  . . . परवाह भी है मन में।
    *बस , कितना करता हूँ , , ,*
*ये बताना छोड दिया।।*

गुरुवार, 23 नवंबर 2017

हाथ

न हाथ थाम सके ,न पकड़ सके दामन ...

बहुत ही करीब से गुजर कर बिछड़ गया कोई !!

उन का अंदाजे-ए-करम,,, उन पर वो आना दिल का....!

हाय...!!... वो वक़्त.., वो बातें..., वो जमाना दिल का...!!

मेरे लफ़्ज़ों का असर उस पर क्यों नही होता
वो एक कमी मेरी तेहरीर में क्या है ...

वो जो हाथ तक से छुने को बे-अदबी समझता था,
गले से लगकर बहोत रोया बिछड ने से जरा पहले...!!

शमशान की राख

शमशान की राख देख कर मन में
एक ख्याल आया

सिर्फ राख होने के लिए इंसान जिंदगी भर
दूसरों से कितना जलता है

मैंने भी अपनी ज़िन्दगी का बहुत दूर तक पीछा किया,
ये अलग बात हैं कि वो खुद किसी की तलाश में थी।

होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बना कर रखते सीने में, 
तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊँ तो तू नही

ईश्क की लौ है दिल पे लगाते  हैं
वो फिर से बुझाते हैं हम फिर से जलाते हैं...

"मरीज-ए-मोहब्बत हूं,
इक तेरा दीदार काफी है,"

"हर एक दवा से बेहतर,
निगाहे-ए-यार काफी है"

सुनहरा दिन यूँ  इतरा के
               संवर के यार सा निकला
महकती सर्द फिजाओं संग
                मेरे दिलदार सा निकला...!!

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...