मंगलवार, 21 नवंबर 2017

आदत

मेरी मोहब्बत की ना सही, मेरे सलीके की तो दाद दे.

तेरा जिक्र रोज करते हैं, तेरा नाम लिए बगैर.!

*तुम्हारी खुशबु कंही नही मिलती

*फूल सारे खरीद के देखे है मेने

मजबूरियां तुम्हारी थी,*
*और
*तनहा हम हाे गऐ...!!!

मेरा क़ातिल भी परेशां है मेरे दोस्तों की दुआओं से.......!

*के जब भी वार करता है, ख़ंजर टूट जाता है ...
!!!

दिल मे ना जाने कैसे तेरे लिए इतनी जगह बन गई,*
*तेरे मन की हर छोटी सी चाह मेरे जीने की वजह बन गई
दर्द ऐसे पीछे पड़ा है ...*

*जैसे मैं उसकी पहली मोहब्बत हूँ...

आज तक बहुत भरोसे टूटे,

*मगर भरोसे की आदत नहीं छूटी!

रविवार, 19 नवंबर 2017

बेपनाह मोहब्बत

पहले इश्क़ को आग होने दीजिए
फिर  दिल को राख होने दीजिए

तब जाकर पकेगी बेपनाह मोहब्बत
जो भी हो रहा बेहिसाब होने दीजिए

सजाएं मुकर्रर करना इत्मिनान से
मगर पहले कोई गुनाह होने दीजिए

मैं भूला नहीं बस थोड़ा थक गया था
लौट आऊंगा घर शाम होने दीजिए

चाँद के दीदार की चाहत दिल में जगी है
आयेगा नज़र वो, रात होने दीजिए

जो नदियां सूख गयी हैं इंतज़ार में
वो भी भरेंगी बस बरसात होने दीजिए

नासमझ, पागल, आवारा, लापरवाह हैं जो
संभल जाएंगे वो भी एहसास होने दीजिए

कशमकश

सुना भी कुछ नही,..कहा भी कुछ नही,.....

पर ऐसे बिखरे है ज़िंदगी की कशमकश मे......

कि टूटा भी कुछ नही....और बचा भी कुछ नही......

ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...*
*तू गुमां न कर...

*बुलंदियाँ छू हजार, मगर...*
*उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर...

जिद कर ही बैठे हो जाने की, तो ये भी सुन ले*

*खैरियत मेरी.... कभी गैरों से मत पूछे...

ना  तंग  करो  हमे, हम  सताये  हुए  है,
मोहब्बत  का  गम  दिल  पे  उठाये  हुए  है;

खिलौना  समझकर  यूँ  ना  खेलो  हमसे,
हम  भी  उसी  खुदा  के  बनाये  हुए  है_!!

हादसे कुछ जिन्दगी*
  *में एेसे हो गये;

   *हम समंदर से भी*
      *ज्यादा गहरे हो गये..!

ऐ उम्र...
अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
बचपन तो छीन लिया
बचपना छीन कर बता

दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता,
हर रास्ते का मुक़ाम नहीं होता,
अगर निभाने की चाहत हो दोनों तरफ,
तो क़सम से कोई रिश्ता नाक़ाम नहीं होता !!

खैरियत

सुना भी कुछ नही,..कहा भी कुछ नही,.....

पर ऐसे बिखरे है ज़िंदगी की कशमकश मे......

कि टूटा भी कुछ नही....और बचा भी कुछ नही......

ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...
*तू गुमां न कर...

*बुलंदियाँ छू हजार, मगर...
*उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर...

जिद कर ही बैठे हो जाने की, तो ये भी सुन ले*

*खैरियत मेरी.... कभी गैरों से मत पूछे...

ना  तंग  करो  हमे, हम  सताये  हुए  है,
मोहब्बत  का  गम  दिल  पे  उठाये  हुए  है;

खिलौना  समझकर  यूँ  ना  खेलो  हमसे,
हम  भी  उसी  खुदा  के  बनाये  हुए  है_!!

हादसे कुछ जिन्दगी
  *में एेसे हो गये;

   *हम समंदर से भी
      *ज्यादा गहरे हो गये..!

ऐ उम्र...
अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
बचपन तो छीन लिया
बचपना छीन कर बता

दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता,
हर रास्ते का मुक़ाम नहीं होता,
अगर निभाने की चाहत हो दोनों तरफ,
तो क़सम से कोई रिश्ता नाक़ाम नहीं होता !!

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

महफील

ना पैसा लगता हैं*
ना ख़र्चा लगता हैं
"  *याद तो करे "
*बड़ा अच्छा लगता हैं

महफील भले ही प्यार  करने वालो की हो,*

*उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है।

जिन्दगी को कभी तो खुला छोड़ दो जीने के लिए .....
               
*बहुत सम्भाल के रखी चीज़ वक्त पर नहीं मिलती ......

नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की

तेरी यादें, तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती है

बुधवार, 8 नवंबर 2017

रूठे रिश्ते

पानी से भरी आंख लेकर मुझे घूरता ही रहा,,
आईने में खडा़ वो शख्स,उदास बहुत था..!!

कुछ रिश्ते उम्र भर अगर बेनाम रहे तो अच्छा है,
आँखों आँखों में ही कुछ पैगाम रहे तो अच्छा है

मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जान

वो कहता है कि बता तेरा दर्द कैसे समझूँ..?​

​मैंने कहा.... इश्क़ कर और कर के हार जा...!!​      ​

रूठे रिश्ते,
और
नाराज लोग,
सबूत है इस बात का,
जज्बात अब भी जुड़े रहने की ख्वाहिश रखते है..!!

चंद अल्फाज़ में बयां कर देती है हाले-दिल,
ये शायरी भी चीज बड़े काम की है।

मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता, कुछ रिश्तों का कोई तोल नहीं होता, लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर.. हर कोई आप सब की तरह अनमोल नहीं होता!

"जब मिली होगी उसे मेरी हालत की खबर,
उसने आहिस्ता से दिवार को जरूर थामा होगा !!"

मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

Legends of Urdu poetry

एक ही विषय पर 6 शायरों का अलग नजरिया.... जरूर पढें :- आप उर्दू शायरी की महानता की दाद देने पर मज़बूर हो जाएंगे.....

1- *Mirza Ghalib*: 1797-1869

"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"

....... इसका जवाब लगभग 100 साल बाद मोहम्मद इकबाल ने दिया......

2- *Iqbal*: 1877-1938

"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"

....... इसका जवाब फिर लगभग 70 साल बाद अहमद फराज़ ने दिया......

3- *Ahmad Faraz*: 1931-2008

"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर,
खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"

....... इसका जवाब सालों बाद वसी ने दिया......

4- *Wasi*:1976-present

"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"

वसी साहब की शायरी का जवाब साकी ने दिया

5- *Saqi*: 1936-present

"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।".....

Legends of Urdu poetry

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...