मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

Urdu shayari

यह ग़लत कहा किसी ने कि मेरा पता नहीं है
یہ غلط کہا کسی نے کہ میرا پتہ نہیں ہے

मुझे ढूंढने की हद तक कोई ढूँढता नहीं है
مجھے ڈھونڈھنے کی حد تک کوئی ڈھونڈتا نہیں ہے

फूल होते तो तेरे दर पे सजा भी देते
پھول ہوتے تو تیرے در پہ سجا بھی دیتے

मैं ज़ख़्म ले के तेरी दहलीज़ पे जाऊँ कैसे?
میں زخم لے کے تیری دہلیز پہ جاؤں کیسے

वहाँ तक साथ चलते हैं जहाँ तक साथ मुमकिन है
وہاں تک ساتھ چلتے ہیں جہاں تک ساتھ ممکن ہے

जहाँ हालात बदलेंगे वहाँ तुम भी बदल जाना
جہاں حالات بدلیں گے وہاں تم بھی بدل جانا

शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

अपने इन्तजार को,,,,

किस खत में रखकर भेजूं अपने इन्तजार को,,,,
बेजुबां हैं इश्क़ .....
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे....!!!!!

मुस्कराने के अब  बहाने नहीं ढूढने पडते

  आपको याद करते हैं  तमन्ना पुरी हो जाती है

तुम्हारी आवाज़ सुनकर ही....
दूर हो जाती तकलीफ़े मेरी....
सुनो....
तुम इश्क़ करते हो या इलाज़....

ख्वाहिशें तो बहुत थी,, हमारी भी!!!
मगर,, आखिरी तुम.बन कर रह गए हो.!!

मैं तुम्हारे "दिल" के ही "करीब" हूँ , तू जरा "महसूस" तो कर..

�सिर्फ "मुलाकातों" से ही "रिश्ते" "मज़बूत" नही हुआ करते ..!!

सुन  Friend
   आजकल अजीब सी
लत लग गई है तुम्हें
देखने की
पता नही इसे प्यार कहते हैं या
पागलपन....

कोई भूल गया है...कोई याद नही करता....

मैं भी चुप हूँ...और कोई बात नहीं करता...!!

हुई जो तुम्हारे होंठों की तलब,
खिलता हुआ गुलाब चूम लिया हमने !!

"किन अल्फाज़ो में कहूँ कि मुझे तुम्हारी आदत हो गई है....*.....!!

"ये खूबसूरत मोहब्बत तेरी..अब मेरी इबादत हो गई है....*.....!!
   

अच्छा लगता है मुझे उन लोगो से बात करना..

जो मेरे कुछ भी नही लगते पर फिर भी मेरे बहुत कुछ है

कभी जी #भर के #बरसना,
....कभी बूँद बूँद के लिए #तरसाना,

ऐ ... #बारिश तेरी #आदतें भी
मेरे #यार जैसी हैं,

आज तक देखा नहीं मैंने कहीं ऐसा शबाब,,,

तेरे होंठों के तबस्सुम से है शर्मिंदा गुलाब,,,
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है,

वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!!

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

इत्तेफाक

वो रोज़ मुजरिम ठहराते हैं मुझे अपने दिल की चोरी का ,😋

उनसे सजा माँगो तो मुस्कुरा कर बाहों में समेट लेते है ! 😍

“रूह ने मुझसे अकेले में कई बार कहा ,
जी लिए हो तो चलो जिस्म बदल कर आएँ..?❤️

तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है;

तुझे  देखूं तो दिल धड़के, ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
🌹

'तुम्हारा' मिलना इत्तेफाक नहीं था...
कभी...!

एक उम्र की तन्हाई का मेरा मुआवज़ा हो 'तुम'...!!😌

बंजर नहीं हूं...मुझमे भी नमी है...!!

बस दर्द बयां नहीं करता..इतनी सी कमी है....!!

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

मोहब्बत के सौदों

यारियाँ ही रह जाती है मुनाफ़ा बन के,
मोहब्बत के सौदों में नुक़सान बहुत है …

बैठे थे अपनी मस्ती में कि अचानक तड़प उठे.....

*आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया.....!!

कुछ ख़्वाहिशें, कुछ हसरतें अभी बाक़ी हैं, टूटकर भी लगता है टूटना अभी बाकी हैं।

होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को

गजल नशीली होकर , लडखडाती हुई निकलती है। .

अगर दूरी मुक़द्दर है तो ये जान लेना...


ख़ुदा भी दूर रहकर सबसे नज़दीक रहता है...

देख लो ... दिल पर कितने ज़ख़्म हैं....!

तुम तो कहते थे.... इश्क़ मरहम है..!!

मेरी रातें अक्सर
जागती हैं
तेरे खयालों में ..!!
कभी
तुम्हें भी इसका
अहसास हुआ क्या ....!!

हर शाम सुकूं को महफूज़ कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं, तुम्हें महसूस कर लेते हैं।....

सोमवार, 22 जनवरी 2018

सांकल की बोली

दरवाज़े प्रैक्टिकल होतें हैं_
_और खिड़कियाँ भावुक,

_दरवाज़े सिर्फ समझते हैं
_सांकल की बोली
_पैरों की आहटें,

_खिड़कियां पहचानती हैं
_दबे पाँव पुरवाई का
_चुपके से अंदर आ जाना,
_सवेरे की किरणों का
_भीतर तक उतर जाना,

_परिंदों का राग,
_मौसमों का वैराग,
_बादल की आवारगी,
_बूंदो की सिसकियाँ,
_घटते बढ़ते चाँद की
_ लम्बी-छोटी रातें,
_चांदनी के सज़दे,
_और टूट जाना किसी तारे का,
_खिड़कियाँ सब जान जाती हैं;

_दरवाज़े होते हैं सख्त,
_मजबूत
_नींबू-मिर्ची से सजे धजे
_अक्खड़ किसी दरबान से,

_खिड़कियाँ होती है
_अल्हड़,
_नादान और सहज;
_उनपर नही लिखना पड़ता,
_*"स्वागतम्"!

घुंघरू

किसको फिक्र है कि "कबीले"का क्या होगा..!*

*सब लड़ते इस पर हैं कि "सरदार" कौन होगा..!!

खुश हूँ अपनी छोटी सी पर सच्ची कामयाबी से...*

*कदमों की रफ़्तार धीमी जरूर है पर जितनी है..
*अपने जमीर के साथ है..!!

वो बुलंदियाँ भी*
*किस काम की मित्रों ,
*इंसान चढ़े और
*इंसानियत उतर जाये

किससे सीखू मैं रब की बंदगी,*
*सब लोग रब का बटवारा किये बैठे है.

*जो लोग कहते है, रब कण कण मे है,
*वही मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा लिए बैठे है!

जिम्मेदारियों के घुंघरू बंधे हैं

मुजरा-ए-रोजगार जारी है

याद करने की.........

तुम भी समझ रहे हो…हम भी समझ रहे हैं…
फिर दिल के सवालों में हम क्यों उलझ रहे हैं…!!

यूँ ही किसी के नाम को, किसी के नाम से, जोड़ा नहीं जाता...!!!
.
.
.
.
.
*किसी के जज़्बात बिखर जाते हैं, और किसी का, कुछ नहीं जाता...!!!

वो अता करे तो शुक्र उसका*,
*वो न दे तो कोई मलाल नहीं

*मेरे रब के फ़ैसले कमाल हैं,
*उन फ़ैसलों पे कोई सवाल नहीं

तुम्हारा ख़याल है, या पशमीने का शाल ......

इन सर्दियो में लिहाफ कि तरह ओढे हुए हूँ मैं......❤

हैं जिनके पास अपने*,
         *वो अपनों से झगड़ते हैं...

*नहीं जिनका कोई अपना,
          *वो अपनों को तरसते हैं..।

लफ़्ज़ों के बोझ से,*
*थक जाती हैं ज़ुबान कभी कभी..

*पता नहीं खामोशी,
*मज़बूरी हैं या 'समझदारी' !!

ज़रा सी फुर्सत◆निकाल कर◆हमारा क़त्ल ही कर दो.★

यूँ तेरे इन्तजार में
◆तड़प-तड़प के मरना◆
हमसे नहीं होता.

एक ‪ज़ख्म‬ नहीं यहाँ तो सारा ‪वजूद‬ ही ज़ख्मी है,*

*दर्द भी ‪हैरान‬ है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!

सारी उम्र हम..........*

*मरने की दुआ करते रहे..........

*और जब जीना चाहा.........

*दुआ क़ुबूल हो गयी...........!!!

कभी कभी हम "दिल" के "हालात" भी "लिखते" हैं,

हर वक़्त "वाह वाह' की "ख्वाहिश" नहीं होती...

इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रखकर.......*

*कुछ वक़्त भेज दूं.........

*सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है..........

*अपनों को याद करने की............!!!

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...