गुरुवार, 4 जनवरी 2018

मोहब्बत का मज़ा

"मोहब्बत का मज़ा पागलपन में हैं...,,
समझदारियों में इश्क़ घुटन बन जाता हैं...!!!"

"मेरी उम्र की दास्तान लम्बी हैं
आराम कम हैं थकान लम्बी हैं

पैंर फिसलें तो खतायें याद आईं
कैंसे ठहरें अब ढलान लम्बी हैं

जिंदगी की जरूरतें समझों
वक्त कम हैं बहुत काम बाकी हैं

प्यार मोहब्बत औंर वफा की बातें
छोड़ियें साहब दास्तान लम्बी हैं...!!!"

इख्तीयार-ए-तरन्नुम

अर्ज किया है..

इख्तीयार-ए-तरन्नुम से तबस्सुम की रौशनी को
जला देना...
.
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वाह..! वाह...!
.
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जब इसका मतलब समझ में आये तो
मुझे भी बता देना..

मुल्क का हाल

महीने फिर वही होंगे, सुना है साल बदलेगा
परिंदे फिर वही होंगे, शिकारी जाल बदलेगा

वही हाकिम, वही ग़ुरबत, वही कातिल, वही गाज़िब,
न जाने कितने सालों में मुल्क का हाल बदलेगा

ख़याल की तरह...

गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह...
आ जाओ ज़िंदगी में नए साल की तरह...!!

कब तक तने रहोगे यूँ ही पेड़ की तरह...
झुक कर गले मिलो कभी तो डाल की तरह..!!

आँसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर..
लग जाओ मेरी आँख से रूमाल की तरह..!!

ग़म ने निभाया जैसे आप भी निभाइए...
मत साथ छोड़ जाओ गुज़रे साल की तरह...!!

बैठो भी अब ज़हन में सीधी बात की तरह....
उठते हो बार-बार क्यों सवाल की तरह...!!

अचरज करूँ मैं जिसको देख उम्र-भर...
हो जाओ ज़िंदगी में उस कमाल की तरह...!!

सुकून

कफ़न के कपड़ो में ये कैसा सुकून है...

जो भी ओढ़ता है.. चैन से सो जाता है...

जितनी भीड़ बढ़ रही है ज़माने में...

लोग उतनें ही अकेले होते जा रहे है...

           
बेशक माँ का रूतबा बहुत होता है...

लेकिन बाप फरिश्तोँ से कम नहीँ होते...

             
व्यक्त्ति जितना ईमानदार होता है...

उसकी तक़दीर उतनी ही खराब होने की संभावना होती है...

           
इन्सान कहता है कि पैसा आये तो मै कुछ करके दिखाऊ...

और पैसा कहता है कि तू कुछ करके दिखाए तो मैं आऊ...

हर ख्वाब के मुकद्दर में हकीकत नही होती...

कुछ ख्वाब ज़िन्दगी में ख्वाब ही रह जाते है...

कौन कहता है कि फरिश्ते स्वर्ग में बसते है...

कभी अपनी माँ को ध्यान से देखा है...

मत पूछना मेरी शख्सियत के बारे में ..

हम जैसे दिखते है वैसे ही लिखते है ।

लगता है दिल ने तालुक अभी नहीं तोड़ा,

तेरे नाम पे आंखे अब भी भर आती हैं..!!
अफ़सोस....
मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था....
बस तुमने ही पन्ने ज़ल्दी पलट दिए....

लगे हो ना #भूल जाने में मुझे ?
#मासूम सी दुआ है, #नाक़ाम रहो तुम.

ख्वाहिशें मेरी “अधुरी” ही सही पर ..
कोशिशे मै “पूरी” करता हूं….

हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं,
कितने लिखे अफ़साने, फिर भी सारे कागज़ कोरे हैं....

मुक़म्मल सा ....

कभी मुस्कुराती आँखे भी कर देती है कई दर्द बयां,
हर बात को रो कर ही बतानी ज़रूरी तो नहीं...!

रिश्ता कभी खत्म नहीं होता..
बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है,
आँखो से छूटा तो यादों में रह जाता है !!....

कभी हमारी दोस्ती के बारे में शक हो

      तो अकेले में एक सिक्का उछालना.....

अगर हेड आया तो हम दोस्त 
          और
    टेल आया तो पलट देना यार  अकेले में कौन देखता है........... आप ये msg उन friend को भेजीये जिन्हें आप खोना नहीं चाहते

बहुत सादगी से उतरते हैं
हर्फ़ मेरी रूह में .........

और एक मुक़म्मल सा
अफ़साना लिखते हैं ......

कुछ खुवाहिशें कुछ तमन्नाओं का
खामोश सा तराना लिखते हैं .....

उछलकर वो नहीं चलते जो माहिर फ़न में होते हैं......

छलक जाते हैं पैमाने जो ओछे बर्तन में होते हैं,,,,,,

*ग़म तो जनाब फ़ुरसत का शौक़ है,

*ख़ुशी में वक्त ही कहाँ मिलता है।

ख़ुशियों की बरसातें

इस नए साल में ख़ुशियों की बरसातें हों;

प्यार के दिन और मोहब्बत की रातें हों;

रंजिशें नफ़रतें मिट जायें सदा के लिए;

सभी के दिलों में ऐसी चाहते हों!

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया

संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...