दरअसल तुम सिर्फ वो जानते हो...जो मेरे लफ़्ज़ कहते हैं.
मेरी हिचक , अफसोस और तलब तो बेजुबान हैं.
शुक्रवार, 22 जून 2018
बेजुबान
रविवार, 27 मई 2018
प्यार की इक ग़ज़ल
मौत की बात ख्वाब लगती है
वो सभी को खराब लगती है
प्यार की इक ग़ज़ल सुनाओ फिर
खूबसूरत जनाब लगती है।
अक्स दिख जाए काँच में उनका
शायरी पुरशबाब लगती है
वो खुली सी किताब है दिल की
उसकी सूरत शराब लगती है।
मुस्कुराहट हो दरमियाँ ग़म के
जिन्दगी लाजवाब लगती है।
राह मुश्किल तभी चले सीधे
कंटकों में गुलाब लगती है।
शख्सियत वो जिसे सभी जाने
आज दीपा जनाब लगती है।
🎸दीपा परिहार 🎸
जोधपुर।
बुधवार, 9 मई 2018
आंधी
वो पेड़ अब भी मुस्कुरा रहें हैं, जिन्हें हुनर था थोडा झुक जाने का...!!
शुक्रवार, 23 मार्च 2018
महफ़िल में
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
गुरुवार, 22 मार्च 2018
मुक़म्मल
ना ही शौक पूरे हुए , ना मुक़म्मल जिंदगी हुई
ये शहर-ऐ-जिंदगी ,
................ ज़िंदा रहने में ही चली गई ।।
मिला मौका जब दिल-ऐ-अरमान कहने का,
होठो तक आते आते ,ज़िन्दगी ही चली गयी
बुधवार, 14 मार्च 2018
घूँघट
यूँ हि नहीं आती मिठास रिश्तों में,
गुलकंद के लिये फूलों को मरना पड़ता है ।।
मानों तो,
एक दिल का रिश्ता है हम सभी का..
ना मानों तो,
कौन क्या लगता है किसी का....!!
कुछ खूबसूरत साथ छूटा नहीं करते,
वक़्त के साथ लम्हे रूठा नहीं करते,
मिलते है कुछ दोस्त ऐसे ज़िन्दगी में,
जिनसे नाते कभी टुटा नहीं करते…
लफ्ज होते हैं इंसान का आईना*
*शक्ल का क्या
*वो तो उम्र और हालात के साथ अक्सर बदल जाती है*
इन्सान का पतन उस समय शुरू हो जाता है जब...
अपनो को गिराने की सलाह गैरो से लेना शुरू कर देता है !!
हुकूमत वो ही करता है,*
*जिसका दिलों पर राज होता है,
*वरना यूँ तो गली के मुर्गो के
*सिर पर भी ताज होता है !!
सिर्फ महसूस किये जाते हैं....*
*कुछ एहसास...कभी लिखे नहीं जाते.....!!
टूटे थर्मस सा हुआ अपनों का प्रेम.........*
भीतर टूटा कांच बाहर सुंदर फ्रेम..........!!!
खुद को समेट के, खुद में सिमट जाते हैं हम...!!*
*एक याद उसकी💕 आती है.. 💕फिर से बिखर जाते है हम...!!
पर्दा तो शर्म का ही काफी है,*
*वरना इशारे तो घूँघट में भी होते है..........
क्या-क्या समझ लेती है...
तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी....!!*
*प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे....!!
तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक लफ्ज भी....!!*
*प्यार की बात तो क्या हम शिकायत तक नहीं करेंगे....!!
उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का...,,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहारो का...!!
एक पल में बरबाद कर दे जो दिल की सारी बस्ती,*
*वो लोग दिखने में अक्सर मासूम ही हुआ करते है ..
दुनिया का सबसे बेहतर टॉनिक है ज़िम्मेदारी...*
*एक बार पी लो ज़िंदगी भर* *थकने ही नही देता....
"वक्त्त"जब भी शिकार करता है* .......
*हर दिशा से वार करता है
एक मैं हूँ कि समझा नहीँ
*खुद को आज तक
*एक दुनिया है कि न जाने मुझे
*क्या-क्या समझ लेती है...
संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया
संगदिल ज़माने को रिझाना ना आया सब कुछ सीखा बस भजन गाना ना आया कहा था किसी ने के सीख लो शायरी ये रास्ता माक़ूल हे मोहब्बत पाने को फिर हमन...
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न चादर बड़ी कीजिये.... न ख्वाहिशें दफन कीजिये... चार दिन की ज़िन्दगी है बस चैन से बसर कीजिये... न परेशान किसी को कीजिये न हैरान किसी को ...
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तेरा चेहरा , तेरी बातें , तेरी यादें ... इतनी दौलत पहले कहाँ थी पास मेरे !! ये लफ़्ज़ क्यों शहद हुए जा रहे है कौन छू गया हमारी ...
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दरअसल तुम सिर्फ वो जानते हो...जो मेरे लफ़्ज़ कहते हैं. मेरी हिचक , अफसोस और तलब तो बेजुबान हैं.